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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दान किए 500 पाइप!

भारत के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन को अलविदा कह रहे हैं और अपने उत्तराधिकारी रामनाथ कोविंद के लिए राष्ट्रपति भवन छोड़ कर जा रहे हैं। लेकिन इस राष्ट्रपति भवन में वह अपनी यादों का झरोखा छोड़ते हुए जा रहे हैं।
लंबे समय से प्रणब मुखर्जी के मित्र रहे और 1985 से उन्हें जानने वाले पत्रकार जयंत घोषाल मुखर्जी के लंबे राजनीतिक जीवन को काफी चाव से याद करते हैं। घोषाल के अनुसार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के काफी मधुर संबंध थे। सिर्फ लक्षणिकता के लिए ही नहीं बल्कि वास्तविक रूप में भी दोनों एक अनकही प्रगाढ़ता साझा करते हैं। कहा जाता है कि यह मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन था कि कोई बाहरी व्यक्ति उनसे र्कोई ऐसी जानकारी निकलवा सके, जिसका खुलासा वे नहीं करना चाहते।

इंदिरा गांधी और प्रणब मुखर्जी के बीच के अटूट रिश्ते को याद करते हुए घोषाल कहते हैं कि इंदिरा गांधी कहती थी कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कितनी शिद्दत से कोशिश करता है, वह प्रणब के मुंह से एक शब्द भी बाहर नहीं निकलवा सकता। वे सिर्फ प्रणब की पाइप से आता हुआ धुआं देख सकते हैं। कहा जाता है कि धूम्रपान छोड़ने के बाद भी मुखर्जी का अपनी पाइप के प्रति लगाव कम नहीं हुआ। उन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी, हमेशा सिर्फ पाइप ही लेते थे।

लेकिन स्वास्थ्य कारणों से जब उनसे धूम्रपान छोड़ने के लिए कहा गया, तो उसके बाद से वह धूम्रपान भले ही नहीं किए लेकिन बिना किसी निकोटिन के अपने मुंह में पाइप रखते थे और उसे चबाते रहते थे ताकि उसे महसूस कर सकें। विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी हस्तियों से तोहफे में मुखर्जी को 500 से ज्यादा पाइप मिली थीं, जिसे उन्होंने राष्ट्रपति भवन संग्रहालय को दान दे दिया।