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रामजन्मभूमि
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जमीन खरीद: विशेष सचिव राजस्व पांच दिन में देंगे रिपोर्ट

लखनऊ। रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद अयोध्या में अफसरों, नेताओं और उनके रिश्तेदारों द्वारा बड़े पैमाने खरीदी गई जमीन की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर विशेष सचिव राजस्व राधेश्याम मिश्रा को जांच सौंपी गई है। मिश्रा को पांच दिन में जांच पूरी करके रिपोर्ट देने को कहा गया है।

राम जन्मभूमि मंदिर पर शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद अयोध्या में अधिकारियों-नेताओं व उनके रिश्तेदारों ने बड़े पैमाने पर जमीनें खरीदी हैं।श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भी करीब 70 एकड़ जमीन रामजन्मभूमि परिसर के विस्तार के क्रम में खरीदी है। जमीन खरीदने को लेकर ट्रस्ट विवाद में भी घिरा था। इसके बाद तो जैसे जमीन खरीद के लिए होड़ सी लग गई। जमीन खरीद में अयोध्या में तैनात अफसरों व नेताओं की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता भी सामने आने लगी है। अयोध्या में पिछले दो वर्षों में तैनात रहे भारतीय व प्रांतीय सेवा के अफसरों और नेताओं ने अपने रिश्तेदारों, परिजनों के नाम पर जमीन खरीदी है।एमपी अग्रवाल अयोध्या के मंडलायुक्त हैं। इनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 31 लाख रुपये में 2530 वर्गमीटर जमीन खरीदी।

उनके बहनोई आनंद वर्धन ने उसी दिन उसी गांव में 15.50 लाख में 1260 वर्ग मीटर जमीन खरीदी।उनके बहनोई राजेश मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर 16 मार्च 2021 को बरहटा मांझा में ही 6320 वर्गमीटर जमीन 47.40 लाख रुपये में खरीदी है। अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे पुरूषोत्तम दास गुप्ता जो अब गोरखपुर में एडीएम हैं। उनके साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमरजीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ साझेदारी में 12 अक्तूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1130 वर्ग मीटर जमीन 21.88 लाख में खरीदी।

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश

करोड़ों की ये जमीनें औने-पौने दाम पर खरीदी गई हैं। इसका खुलासा होने के बाद योगी सरकार ने इसकी जांच कराने का फैसला किया है। राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के तुरंत बाद अयोध्या की जमीन भी सोना उगलने लगी। जिस जमीन को कोई पूछने वाला नहीं था उसे अयोध्या में तैनात रहे अधिकारियों और स्थानीय नेताओं ने औने-पौने खरीद लिया।

अब इसी जमीन पर नव्य अयोध्या विकसित की जानी है। स्पष्ट है कि जब यह नगरी वैश्विक पर्यटन का केंद्र बनेगी तो कौडि़यों के भाव खरीद गई यही जमीन मुंह मांगी कीमत दिलाएगी। यह वही अयोध्या है जहां फैसला आने के पहले कोई अफसर जाना भी पसंद नहीं करता था। इस बीच कहा जा रहा है अभी कई अफसर और जमीन का सौदा करने के लिए लाइन में हैं। सुप्रीम कोर्ट से नौ नवंबर 2019 को राममंदिर के हक में फैसला आया। इस आदेश के बाद व राममंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही अयोध्या की जमीनों के दाम आसमान छूने लगे।

 

क्या बिनाई-केवाईसी के आएगी किस्त?

 

अपने रिश्तेदारों व परिजनों के लिए जमीन खरीदने वालों में कमिश्नर से लेकर डीआईजी व डीएम तक शामिल रहे तो कई नेताओं के नाम भी सामने आए हैं। सीओ, राजस्व विभाग के अधिकारियों सहित विधायक व महापौर का नाम भी जमीन खरीदने में आया है।

राजस्व मामलों के जानकार वरिष्ठ अधिवक्ता गणेश दत्त पांडेय कहते हैं कि यदि राजस्व के नियमों का उल्लंघन करते हुए या गैर कानूनी ढंग से जमीन खरीदी गई है तो इस पर अपराध बनता है, लेकिन यदि कानूनी रूप से नियमों का पालन करते हुए जमीन खरीदी गई है तो कोई अपराध नहीं बनता है। अफसर, नेता के जमीन खरीदने पर कहीं कोई रोक तो है नहीं, इसलिए इसको मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।

 

भारतीय किसान यूनियन के नेता शिव प्रसाद पांडेय कहते हैं कि यदि बड़े-बड़े लोग नेता, अफसर, बिजनेसमैन आदि अयोध्या आकर जमीन खरीद रहे हैं तो इसमें क्या बुराई है। यह तो विकास व तरक्की का ही संकेत है। इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। किसानों की जो जमीन कौडि़यों के भाव बिकती थी, आज वही जमीन लाखों में बिक रही है। किसान का तो लाभ ही हो रहा है।

अयोध्या के डीआईजी रहे दीपक कुमार जो अब अलीगढ़ के डीआईजी हैं। इनकी पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने एक सितंबर 2021 को बरहटा मांझा में 1020 वर्गमीटर जमीन 19.75 लाख में खरीदी है। गोसाईगंज के विधायक इंद्रप्रताप तिवारी ने 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2593 वर्गमीटर जमीन 30 लाख में खरीदी।