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Haryana Assembly Elections, Door Bell Is Defective Please Shout Modi Modi To Open Door
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मुस्लिम बस्ती में लगे पोस्टर, डोर-बेल खराब है..कृपया मोदी-मोदी चिल्लाएं

डोर बेल खराब है। कृपा दरवाजा खुलवाने के लिए मोदी-मोदी चिल्लाएं। मुस्लिम बस्ती में करीब दर्जन भर घरों के बाहर कुछ इसी तरह के पोस्टर चस्पा किए गए हैं। चुनावी सीजन में इस तरह के पोस्टर मुस्लिम बस्ती में लगे होने के कारण खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। आइए जानते हैं इस अनोखे चुनाव प्रचार के बारे में…

हरियाणा में एक शहर है अंबाला और वहां पर एक मोहल्ला है रामकिशन कालोनी। यहां पर ये पोस्टर लगे हैं। पोस्टर इस समय आसपास के लोगों में आकर्षण का केंद्र भी बने हुए हैं। हवा में यह पोस्टर उखाड़ न सकें इसके लिए चारों ओर से टेप से अच्छी तरह से कवर भी किया गया है। यह पोस्टर न केवल चुनावी प्रचार-प्रसार का अनूठा तरीका बन गए हैं बल्कि इन पोस्टरों के पीछे की कहानी सुनकर शायद आप भी हैरान हो जाएंगे। 

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महिलाएं बोलीं- ऐसे पहले प्रधानमंत्री जिन्होंने बदली उनकी जिंदगी
महिलाओं ने इन पोस्टरों के पीछे की कहानी खुद ब खुद बयान की। पूछताछ में महिलाओं ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी जिंदगी ही बदल दी। तलाक-तलाक-तलाक कहकर उन्हें तलाक दे दिया जाता था। इससे न तो वह अपने ससुराल की रहती थीं न ही घर की। लेकिन अब तलाक देने से पहले पुरूषों को सोचना पड़ेगा। क्योंकि तीन साल की सजा तो है ही साथ में ऐसा करने वाले पुरूष को महिला का खर्चा भी देना होगा। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री के नाम के लिए उन्होंने यह पोस्टर अपने घरों के बाहर चस्पा किए हैं। 

जब पोस्टर हमारे घरों के बाहर हैं तो जाहिर सी बात है कि हमने ही लगाए होंगे। मोदी हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं। इसीलिए हमने उनके प्रचार के लिए यह पोस्टर लगाए हैं। मुसरत बानो।

तीन तलाक खत्म कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर मुस्लिम महिला को जीने की आजादी दी है। यह बेहद सराहनीय कदम है। हम प्रशंसा करते हैं उनके इस कदम की। इसीलिए हमारे घर के बाहर यह पोस्टर लगे हैं। हसीना

मोदी अच्छा काम कर रहे हैं। हमारे देश के बड़े प्रधानमंत्री भी हैं। कोई जितना भी कुछ कहे लेकिन काम बहुत अच्छे कर रहे हैं। इसीलिए तो हमने यह पोस्टर लगाए हैं और क्या कारण हो सकता है?, शकीला।

इतने प्रधानमंत्री आए किसी ने हमारे लिए नहीं सोचा। अब तलाक देने से पहले कई बार पुरूषों को विचार करना पड़ेगा। इससे पहले तो हम परेशान थे। क्योंकि तीन तालक से न तो घर के थे न घाट के।  नजमा। 

कोई तो प्रधानमंत्री आया जिसने हमारी सुनी। जब उन्होंने हमारी सुनी है तभी तो हम उनका साथ दे रहे हैं। यूं ही पोस्टर तो किसी के नाम से कोई अपने घरों के बाहर नहीं लगाता। शबनम।  

मोहम्मद अबहार और उनकी पत्नी ने बताया कि वह अभी कुरुक्षेत्र से आ रहे हैं क्योंकि प्रधानमंत्री की वहां रैली थी। पूरा भाषण सुना मोदी जी का और उसके बाद अब 4 बजे अंबाला पहुंचे हैं। हां हमने ही लगाए हैं यह पोस्टर अपने घर के बाहर। क्योंकि हमें अच्छा लगता है मोदी का काम।