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मानकों के विपरीत औद्योगिक इकाइयां फैला रही प्रदूषण

उन्नाव । जनपद की बड़ी आबादी अपनी प्यास जल से बुझाती है। साथ ही अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति भी करती है। तमाम लोगों का रोजगार भी अप्रत्यक्ष रूप से जल पर भी निर्भर है, लेकिन औद्योगिक प्रदूषण की भेंट चढ़ने के कारण गंगा नदी सहित अन्य जल स्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं। ऐसे में भीषण जल संकट से गुजर रहे जनपद के सामने जल संकट त्रासदी बन रहा है। जल जीवन का आधार है, लेकिन उद्योगों के कारण जल स्रोत इस हद तक प्रदूषित हो गए हैं, कि जल के अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जनपद में औद्योगिक इकाइयां मानकों का पालन नहीं कर रही हैं।

लगातार प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है। इन दिनों खासतौर से छोटे बच्चे, बुजुर्ग और दमा के रोगियों को सांस लेने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं निजी अस्पताल से लेकर सरकारी अस्पताल में सांस की परेशानी को लेकर मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। प्रशासनिक अधिकारी लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्यवाही भी तय कर रही है, हाल ही में एनजीटी के निर्देशों का पालन ना करने पर प्रशासन ने मेमर्स जय जगदंबा फैक्ट्री मेटलाइज लिमिटेड पर जुर्माना भी लगाया। फिर भी तमाम औद्योगिक इकाइयां पैसों की लालच में लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

गौरतलब हो कि संचालित औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से उठने वाला धुआं भी वायुमंडल में कार्बन एवं अन्य घातक रसायनों की मात्रा बढ़ा रहा है। ऐसे में अगर समय रहते जिम्मेदारों द्वारा कोई ठोस कदम न उठाया गया तो जनपद की एक बड़ी आबादी घातक बीमारियों के चपेट में होगी। एक तरफ जिला प्रशासन मानकों के विपरीत प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयो के खिलाफ कार्यवाही की बात कह रहा है। दूसरी तरफ मानकों को तार तार कर फैक्ट्री प्रबंधन तंत्र प्रदूषण फैलाने में जरा सा भी गुरेज नही कर रहा है। अब ऐसे में बड़ा सवाल आखिर कब जिला प्रशासन ऐसे लापरवाह फैक्ट्री प्रबंधन तंत्र के खिलाफ बड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करेगा।