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माज को सदमार्ग दिखाती हैं पुस्तकें : महेंद्र सिंह

लखनऊ। साक्षरता निकेतन स्थित राज्य संसाधन केंद्र में शिक्षाविद डॉ. रमेश चन्द्र सक्सेना की पुस्तक ‘राधाकृष्णन का मूल्य-दर्शन’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर शैक्षिक साहित्य लेखन और सामाजिक सरोकारों से जुड़ीं 18 विभूतियों का सारस्वत सम्मान किया गया।
राज्य संसाधन केंद्र उत्तर प्रदेश के विवेकानंद सभागार में इमेज प्रकाशन समूह और ग्रीन चौपाल के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रूप में राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष महेंद्र सिंह थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और शिक्षाविद डॉ. बी.के. जौहरी ने प्रतिभाग किया। अध्यक्षता शिक्षा-साहित्य के राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ साहित्यकार लायक राम मानव ने की। मुख्य अतिथि महेंद्र सिंह ने अपने उदबोधन में कहा कि पुस्तकें समाज को सही दिशा दिखाती हैं। उन्होंने कहा कि लेखक स्वान्तः सुखाय के साथ- समाज और राष्ट्र के हित की विषयवस्तु को अपने रचनाकर्म का हिस्सा बनाएं। लेखक नई पीढ़ी और समाज को बहुत कुछ दे सकते हैं। विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद डॉ. बी.के. जौहरी ने कहा कि व्यक्ति को ऐसा कुछ अवश्य करना चाहिए, जिससे उसके जीवन की सार्थकता का बोध हो। उन्होंने कहा कि यह प्रश्न हो सकता है कि हम कब तक जिएँगे। इसका सम्यक उत्तर है कि हम तब तक जियेंगे जब तक हमें याद करने वाले जियेंगे। उन्होंने कहा कि हम ऐसा करें कि हमारी स्मृतियाँ सदैव अक्षुण्ण रहें। साहित्यकार लायक राम मानव ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि समाज को शिक्षित करने में शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक का रचनाकर्म उसके व्यक्तित्त्व को और वृहद और उत्तरदायी बनाता है। शिक्षाविद डॉ. रमेश चन्द्र सक्सेना ने अपनी लोकार्पित पुस्तक की रचना के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित लेखक यदुनाथ सिंह मुरारी ने स्वागत उद्बोधन किया। ओम प्रकाश चौरसिया ने साक्षरता निकेतन के स्थापना संदर्भों और परिसर की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। समारोह में नई दिल्ली से पधारीं उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता पूर्णिमा जौहरी ने भी संबोधित किया। इस मौके पर ‘ग्रीन चौपाल’ की सी.ई.ओ. पूजा शुक्ला एवं वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र शुक्ला की गरिमामय उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
  इस अवसर पर शिक्षा साहित्य लेखन-सृजन और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी प्रदेश की 18 विभूतियों को  प्रशस्तिपत्र, स्मृतिचिह्न, उत्तरीय और पुष्पगुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया गया।इनमें  शिक्षक-शिक्षा साहित्य लेखन सम्मान महेंद्रनाथ श्रीवास्तव, बी.एल.वर्मा, संजय शर्मा, विवेक कुमार कुलश्रेष्ठ, डॉ. विक्रान्त उपाध्याय, नगेन्द्र सिंह तथा डॉ. अनीता गुप्ता को प्रदान किया गया। शैक्षिक साहित्य सृजन सम्मान धीरजपाल सिंह, सुनील कुमार आर्य, शेर सिंह शाक्य को दिया गया। शिक्षक-शिक्षा सम्वर्द्धन सम्मान सुरेश कुमार रावत तथा स्व. ज्ञानेंद्रशंकर पाण्डेय स्मृति शिक्षोन्नयन सम्मान प्रियंका सक्सेना को दिया गया। शैक्षिक साहित्य संपादन सम्मान ज्योत्स्ना श्रीवास्तव और सुरेश सिंह चौहान (आचार्य सुदर्शन शास्त्री) को प्रदान किया गया। शैक्षिक समानता सम्वर्द्धन सम्मान उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की अधिवक्ता पूर्णिमा जौहरी को दिया गया। अंत्योदय शिक्षा सम्वर्द्धन सम्मान हौसला फाउंडेशन की नेहा सिंह सम्मानित हुईं। कार्यक्रम में वन्यप्रेमी स्व.वी.पी. सिंह की पत्नी श्रीमती इंदुमती और उनके पुत्र विपिन प्रताप भी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संचालन राज्य शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक धीरजपाल सिंह ने किया। समापन में वरिष्ठ लेखक महेन्द्रनाथ श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र प्रताप, जितेंद्र खरे, अंजू पाण्डेय, गुंजन सक्सेना आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।