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महिलाओं को अपनी जिंदगी अपने मनमुताबिक जीने की आज़ादी है-‘एग फ्रीज़िंग’

 प्रजनन के समय का बीतते जाना, उन महिलाओं में तनाव का विषय है, जो पहले अपने करियर की दौड़ में आगे निकलना चाहती हैं और बाद में मां बनना चाहती हैं। एग फ्रीजिंग की सुविधा इन महिलाओं को अपनी जिंदगी अपने मन मुताबिक जीने की आजादी देती है। यह उन्हें बच्चे के जन्म की प्रक्रिया में देर करने में सक्षम बनाती है, चालीस के मध्य की उम्र तक वे अपने पेशेवर लक्ष्यों के साथ बिना समझौता किए आगे बढ़ सकती हैं और मातृत्व के लिए उनकी योजना अंधेरे में भी नहीं पड़ती है। यह उन महिलाओं के लिए भी अत्यंत उपयोगी है, जो कैंसर से पीड़ित हैं और भविष्य में मां बनना चाहती हैं। वे अपनी चिकित्सा शुरू करने से पहले अपने अंडे को फ्रीज़ कर सकती हैं और कैंसर से जीतने के बाद उनका उपयोग मां बनने में कर सकती हैं।

एग फ्रीज़िंग: एक नई अवधारणा – बड़ी संख्या में महिलाएं ऐसे समय में अपने अंडे फ्रीज करती हैं, जब उनकी शादी नहीं हुई होती या उनका पार्टनर नहीं होता है। कुछ जोड़े भू्रण को फ्रीज करवाते हैं जो एग फ्रीज की तुलना में अधिक प्रचलित है। समानता के आधार पर यह महिलाओं को अपने परिवार के बारे में, अपने साथी के साथ निर्णय लेने की प्रक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा बनाती है। हालांकि एग फ्रीजिंग, अभी भी दुनिया में अभी भी नई अवधारणा है, भारत में और भी अनोखी है। अब इस पर लोगों का ध्यान जा रहा है। प्रक्रिया के बारे में पूछताछ से शहरी केंद्रों में वृद्धि देखी गई है क्योंकि ऐसी तकनीकों की स्वीकार्यता अधिक है।

एग फ्रीजिंग के बारे में जागरुकता –उद्देश्य अब अधिक महिलाओं को एग फ्रीजिंग के अस्तित्व और लाभों के बारे में शिक्षित करना है। इससे बाद में गर्भ धारण करने की संभावनाएं खुलती हैं। यह बाद के वर्षों में उपयोग के लिए छोटे, स्वस्थ अंडे को संरक्षित करता है। एग फ्रीजिंग सहित बांझपन का विषय अभी भी वर्जना के रूप में देखा जाता है। अभी भी इस प्रक्रिया के बारे में लोगों के निर्णयों को समझने वाली समझ और जानकारी की कमी है। कई बड़ी हस्तियों के ऐसे निर्णय जनता देखती है और इससे इस पर बातचीत की राह खुलती है। जब वे अपनी व्यक्तिगत कदम साझा करते हैं तो ऐसे विषयों को प्रकाश में आने में मदद मिलती है, जिन पर आमतौर पर व्यापक चर्चा नहीं हो पाती। मिसाल के तौर पर, पूर्व मिस वर्ल्ड या डायना हेडन या ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ फेम मोना सिंह अपने अंडों को फ्रीज करने के सफर के बारे में बताती हैं तो इससे इस विषय पर चर्चा को बल मिलता है। इस तरह की वास्तविक जीवन की कहानियां समाज के लिए नजीर बनती हैं और लोगों को एग फ्रीजिंग के बारे में और जानने को प्रोत्साहन मिलता है। ऐसे में समय के साथ इसकी स्वीकार्यता बढ़ती है। वैश्विक स्तर पर, प्रत्येक 100 आईवीएफ चक्रों में केवल 2 महिलाएं अपने अंडे फ्रीज करती हैं। हालांकि, कनाडा जैसे देशों में 2017 से 2018 तक एग फ्रीजिंग की संख्या में 180 फीसदी की बढ़ोतरी आई है। भारत में, इस प्रक्रिया का विकल्प चुनने वाली महिलाओं की संख्या में प्रगति हो रही है और इसे लेकर जागरूकता में 60 फीसदी की बढ़त आई है। ज्यादातर महिलाएं, जो अपने अंडे फ्रीज करती हैं, उनकी उम्र 34 से 36 साल तक होती है। इंदिरा आईवीएफ में, धीरे-धीरे इस बारे में पूछताछ बढ़ी है। यह प्रवृत्ति, और अधिक महिला उद्यमियों और पेशेवरों के साथ, भारत में एग फ्रीजिंग को बढ़ावा देगी और हम जल्द ही इस मामले में अन्य देशों के बराबर होंगे।           डॉ. क्षितिज मुर्डिया, सीईओ और को-फाउंडर, इंदिरा आईवीएफ