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Temple, Church, Gurudwara And Masjid Should Be PwD Friendly, According To Act 1995
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मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों और चर्च में एक साथ लागू होगा ये कानून

मंदिर हो या मस्जिद, अपनी धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं को लेकर दोनों धर्मों को मानने वाले अपनी अलग राह जरुर चुन सकते हैं, लेकिन एक ऐसा आदेश जारी होने जा रहा है, जिसका पालन करना सबके लिए अनिवार्य होगा। इस आदेश के तहत मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च या किसी भी धार्मिक स्थल को दिव्यांग लोगों के लिए भी ‘सुगम्य’ (Accessible To All) बनाना जरूरी होगा।इसके तहत धार्मिक स्थलों के मुख्य पूजा स्थान तक दिव्यांगों की आसान पहुंच के लिए रैंप बनाना और धार्मिक स्थल के सभी प्रमुख निर्देश ब्रेल लिपि में अंकित किया जाना अनिवार्य होगा। इसके लिए ‘कानूनी मसौदा’ तैयार हो चुका है और अगले हफ्ते में इससे संबंधित आदेश जारी किया जा सकता है।

दिव्यांगों के लिए धार्मिक स्थल जागरूक नहीं

दिव्यांगजनों के लिए आयुक्त कार्यालय, दिल्ली के कमिश्नर टीडी धरियाल ने अमर उजाला को बताया कि वे सभी सुविधाएं जो जन सामान्य के लिए उपलब्ध हैं, उन्हें दिव्यांगजनों को भी उपलब्ध कराया जाना कानूनन अनिवार्य है। इसके तहत अस्पताल, मॉल, बाजार या सिनेमाघरों में ‘सुगम्यता’ उपलब्ध कराना शुरु किया जा चुका है। लेकिन धार्मिक स्थल अभी भी दिव्यांगों के लिए ये सुविधाएं देने के मामले में जागरुक नहीं हैं। यही कारण है कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आयुक्त कार्यालय शीघ्र ही एक आदेश जारी कर सभी धार्मिक स्थलों में ये सुविधाएं देना अनिवार्य बनाएगा।

जुर्माने का प्रावधान

आदेश पारित होने के बाद सभी जिलों के डीएम अपने क्षेत्र में स्थित धार्मिक स्थलों को नए आदेश की जानकारी देंगे। जानकारी के तीन महीने के भीतर सभी धार्मिक स्थलों को अपने परिसर को सबके लिए सुगम्य बनाना होगा। किसी कारणवश ऐसा न कर पाने पर उन्हें इसकी लिखित जानकारी डीएम कार्यालय या विभाग तक पहुंचानी होगी। इसके बाद आई समस्या का निवारण कर सुगमता सुनिश्चित कराई जाएगी। 
टीडी धरियाल ने बताया कि इस आदेश का पालन करना सभी धार्मिक स्थलों के लिए अनिवार्य होगा। कानून का पालन न करने वाली संस्थाओं को दिव्यांग जन अधिनियम, 1995 के तहत पहली सूचना पर दस हजार रुपये और उसके बाद दूसरी सूचना पर न्यूनतम पचास हजार रुपये का जुर्माना किया जा सकता है।

गुरुद्वारे और चर्च सबसे ज्यादा जागरुक

आयुक्त के मुताबिक दिल्ली के धार्मिक स्थलों के निरीक्षण के बाद उन्होंने पाया है कि गुरुद्वारे और चर्च अपने यहां ‘सुगमता’ उपलब्ध कराने में सबसे ज्यादा सजग हैं। शीशगंज गुरुद्वारा इतना अच्छी ‘सुगमता’ उपलब्ध कराता है कि एक व्यक्ति ह्वील चेयर के साथ भी धार्मिक स्थल तक पहुंच सकता है। हालांकि, कुछ अन्य धार्मिक स्थल इस सुविधा के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं पाए गए हैं।

पूजा सबका अधिकार

भारतीय संविधान में पूजा करना सबका कानूनी अधिकार है। इसके अलावा पब्लिक सेवाओं की परिभाषा में धार्मिक स्थल भी आते हैं। ऐसे में एक पब्लिक सेवा होने के नाते या धार्मिक अधिकार होने के नाते, धार्मिक स्थलों तक पहुंच पाना दिव्यांगजनों का अधिकार है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह आदेश लाया जा रहा है।