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मंगल ग्रह पर दर्जनों जमी हुई झीलें :नासा

मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी की जानकारी मिलते ही पूरी दुनिया में खलबली मच गई थी. अब वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल पर दो-चार नहीं बल्कि दर्जनों झीलें मौजूद हो सकती हैं.
अंतरिक्ष की दुनिया रहस्यों से भरी हुई है, क्योंकि इंसान को वहां पहुंचने में बहुत देर लगी. ऐसा ही एक रहस्य है मंगल ग्रह . लाल ग्रह यानि मंगल पर बसने की संभावनाओं को लेकर वैज्ञानिक वर्षों से खोज में लगे हुए हैं. साल 2018 में वैज्ञानिकों ने ये तथ्य खोज निकाला कि मंगल ग्रह पर पानी मौजूद है. पानी मिलने की खबर के बाद तो मंगल पर बस्तियां बसाने की भी योजनाएं बनने लगीं. अब वैज्ञानिकों की इस योजना को बल देने वाली एक और खोज सामने आई है. नासाके रिसर्चर्स ने दावा किया है कि मंगल पर पानी के महज 1-2 नहीं, बल्कि दर्जनों झीलें मौजूद हैं.

नासा के जेट प्रोपल्शन लैब ने यूरोपियन स्पेस एंजेसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर के डेटा का विश्लेषण करने के बाद ये दावा किया है. मंगल ग्रह के दक्षिणी पोल से मिले रडार रेफ्लेक्शन को देखन और इस विश्लेषण को मिलाने के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि साउथ पोल पर ये झीलें मौजूद हैं. हालांकि इनमें पानी तरल नहीं होकर बर्फ के रूप में जमा हुआ है. इन पर सूखे बर्फ की डस्ट है और ये पूरे इलाके पर अच्छी तरह जमी हुई है.

रडार से मिले सिग्नल को लेकर नासा JPL के रिसर्चर जेफ्री पॉल्ट कहते हैं कि हम ये नहीं कह सकते कि ये पानी तरल है. या तो मंगल की सतह के नीचे अच्छी मात्रा में पानी है या फिर रडार से मिले सिग्नल किसी और चीज़ की ओर से इशारा करते हैं. इस पर शोध अभी जारी है. मंगल ग्रह के दक्षिणी पोल को लेकर 15 साल से रिसर्च चल रही है. एक दूसरे शोध में भी कहा जा चुका है कि मंगल ग्रह का 33 से 99 फीसदी तक का पानी इसकी कड़ी सतह के नीचे है, क्योंकि ये चट्टाने अरबों साल पुरानी हैं और यहां का तापमान माइनस 63 डिग्री सेल्सियस है. इतने कम तापमान में पानी का तरल रहना नामुमकिन है.
मंगल के साउथ पोल पर 6 से 12 मील के अंदर ही दर्जनों झीलें होने की उम्मीद है. यानि इस झीलों का आकार ज्यादा बड़ा नहीं है. वैज्ञानिकों का कहना ये भी है कि अब पता ये लगाया जा रहा है कि झील का पानी कहीं तरल भी है या नहीं? अगर पानी तरल हुआ तो मंगल पर ज्वालामुखी जैसी गतिवधि की भी पुष्टि हो सकती है. वहीं पानी का सॉलिड फॉर्म में होना वॉल्कैनो एक्टिविटी को नकारता है. मई में वैज्ञानिकों मंगल पर ज्वालामुखी जैसी गतिविधि की कुछ सेटेलाइट तस्वीरें शेयर की थीं और उनका मानना था कि ये 50 हजार साल पहले फूटा हुआ ज्वालामुखी है. ऐसे में मंगल पर मिली झीलों से इस दावे पर रिसर्च को आगे बढ़ाया जा सकेगा. अगर मंगल पर तरल झीलों की पुष्टि हुई तो इंसान के वहां बसने के कॉन्सेप्ट पर काम और आगे बढ़ाया जा सकेगा.