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भारत बन रहा लोकतांत्रिक सुपरपावर: टोनी एबॉट

नई दिल्ली. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने बीते वर्षों में भारत द्वारा की गई प्रगति की तारीफ की है. उन्होंने कहा है-‘वर्तमान में चीन को लेकर उठते हर सवाल का जवाब भारत है. भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया का मुक्त व्यापार समझौता लोकतांत्रिक विश्व को मजबूती देगा. इस वक्त दुनिया में आक्रामक महाशक्तियां उभर रही हैं, ऐसे में ये सभी के हित में है कि भारत जितना जल्द हो सके अपना सही स्थान प्राप्त करे.’

यह बात टोनी एबॉट ने एक ऑस्ट्रेलियाई अखबार में अपने लेख में कही है. एबॉट वर्तमान में भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया के विशेष व्यापार दूत भी हैं. वो बीते सप्ताह भारत की यात्रा पर आए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी.

चीन खिलाफ सख्त लहजे का इस्तेमाल करते हुए और भारत के पक्ष में एबॉट ने लिखा है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया की ट्रेड डील पूरी दुनिया के लोकतंत्र के लिए हितकारी साबित होगी. उन्होंने लिखा है-‘भारत और ऑस्ट्रेलिया समान सोच वाले लोकतंत्र हैं जिनका संबंध पूरी तरह विकसित नहीं हुआ था. विशेष तौर पर तब तक जब तक नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बने थे. प्रधानमंत्री मोदी के शासन काल में भारत ने क्वाड गठबंधन को दोबारा खड़ा किया. संभव है कि क्वाड का पहला सम्मेलन इस साल के अंत तक होगा जिसमें सभी नेता पहली बार आमने-सामने एक-दूसरे से मुलाकात करेंगे.’

बता दें कि साल 2015 में जब एबॉट ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री थे तब चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता हुआ था. अब एबॉट ने लिखा है कि चीन के मजबूत होते जाने के पीछे मुख्य कारण यही था कि मुक्त व्यापार के पक्षधर देशों ने एक कम्युनिस्ट तानाशाही को अपने साथ समझौता करने दिया.

उन्होंने लिखा-उस वक्त ऐसी उम्मीद थी कि समृद्धि बढ़ने और आर्थिक स्वतंत्रता के साथ चीन में राजनीतिक उदारीकरण का वक्त भी आएगा. 2014 में मेरा दृष्टिकोण यही था. वक्त के साथ चीन में हमारा निर्यात नहीं बढ़ा लेकिन उनके यहां से ऑस्ट्रेलिया में आयात बढ़ता गया. अब वर्तमान में चीन ने ऑस्ट्रेलियाई कोयले, शराब, सी फूड जैसी कई चीजों पर बैन लगा दिया है. लगता है जैसे चीन ने व्यापार का इस्तेमाल रणनीतिक हथियार के तौर पर किया.’
दरअसल बीते साल कोरोना महामारी फैलने के बाद चीन और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों में बहुत ज्यादा तल्खी आ गई है. संबंध खराब हुए तो ऑस्ट्रेलिया ने चीन के कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर रोक लगा दी. इसके जवाब में चीन की तरफ से कई चीजों के आयात पर बैन लगा दिया गया. दोनों देशों के बीच आर्थिक मुद्दों पर बातचीत अनिश्चितकाल के लिए निलंबित है.