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कोचिंग में पढ़ाई

बिहार कोचिंग में पढ़ाई के दौरान हुई दोस्‍ती !!

आरा। बिहार का एक छोटा सा लेकिन ऐतिहासिक और महत्‍वपूर्ण शहर है आरा। यह पटना से बहुत अधिक दूर नहीं है। आरा फिलहाल भोजपुर और पुराने शाहाबाद जिले का मुख्‍यालय है। रमना मैदान इस शहर का हृदय स्‍थल कहा जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे पटना में गांधी मैदान का इलाका है। रमना मैदान से सटे कई चाय की दुकानें हैं, लेकिन इन्हीं के बीच आईआईटियन चाय वाला नाम से चल रहा टी-स्टाल राहगीरों को लुभा रहा है। केवल नाम से ही नहीं, स्वाद से भी यहां की चाय ने अलग पहचान बनाई है। जब चूल्हे से निकली गर्म लाल कुल्हड़ में फ्लेवर्ड चाय उड़ेली जाती है, तो उससे निकला स्वाद मन मे ताजगी भर देता है। नाम के अनुरूप यह टी स्टाल आईआईटी और विभिन्न संस्थानों में पढ़ाई के रहे टेक्नोलॉजी के छात्रों का आइडिया है।

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10 फ्लेवर में मिलती है चाय

आईआईटियन चाय दुकान में एक-दो नहीं, बल्कि 10 फ्लेवर में चाय मिलती है। इनमें, निम्बू, आम, सन्तरा, पुदीना, ब्लूबेरी आदि फ्लेवर की चाय लोग पसंद करते हैं। चाय बना रहे कर्मचारी ने बताया कि 10 रुपये में यहां कुल्हड़ में चाय मिलती है। चाय देने से पहले वे लोग कुल्हड़ को चूल्हे की आग में गर्म करते हैं, जिससे इसमें अनोखा स्वाद आ जाता है। स्टाल पर चाय की चुस्की ले रहे जिला जदयू मीडिया सेल के अध्यक्ष भीम सिंह बबुआन ने कहा कि युवाओं में सोच बदल रही है, यह स्टाल उसी सकारात्मक सोच का नतीजा है।

स्टाल की डिजाइन है खास

टी-स्टाल की सबसे बड़ी खासियत दुकान की डिजाइनिंग है। केवल 16 वर्ग फीट में पहिये पर स्टाल इस तरह से डिजाइन की गई है कि चाय बनाने से लेकर जरूरत का सारा सामान इसमे समा जाए। केवल कुल्हड़ को गर्म करने के लिए चूल्हा को स्टाल से अलग रखना पड़ता है।

आइआइटी डेटा साइंस का स्‍टार्टअप है आइआइटियन चायवाला

अब आप सोच रहे होंगे कि टेक्नोलॉजी के छात्रों का चाय की दुकान से क्या वास्ता? मद्रास आईआईटी में डेटा साइंस में बीएससी प्रथम वर्ष के छात्र और टी-स्टाल खोलने वाले रणधीर कुमार बताते हैं, यह उनका स्टार्टअप है। उनके साथ देश के अलग-अलग संस्थानों में पढ़ रहे चार दोस्तों ने रोजगार सृजन के लिए यह स्टार्टअप शुरू किया। इसमें खड़गपुर आईआईटी में प्रथम वर्ष के छात्र जगदीशपुर के अंकित कुमार, बीएचयू में पढ़ रहे इमाद शमीम और एनआईटी सूरतकल में पढ़ रहे सुजान कुमार का आइडिया लगा है।

कोचिंग में पढ़ाई के दौरान हुई दोस्‍ती

रणधीर बताते हैं कि वे लोग पहले एक ही कोचिंग संस्थान में पढ़ते थे और वहीं उनकी दोस्ती हुई। उन लोगों ने भविष्य में कुछ ऐसा करने का निर्णय लिया था, जिससे कुछ लोगों को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना सकें। एक टी-स्टाल में दो से तीन लोगों को रोजगार मिला है। अभी आरा में एक स्टाल है और इसी महीने यहां बमपाली और बाजार समिति में स्टाल खुलने वाला है। एक टी-स्टाल जल्द वे लोग पटना में बोरिंग रोड में खोल रहे हैं।

साल के अंत तक देश में 300 स्‍टाल खोलने की योजना

उनकी योजना साल के अंत तक देशभर में 300 स्टाल खोलने की है। स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए वे वित्तीय संस्थानों से मदद लेंगे। रणधीर बताते हैं कि इस स्टार्टअप से उनकी पढ़ाई बिल्कुल प्रभावित नहीं हो रही है, यह तो बस एक आइडिया है तो उन लोगों ने धरातल पर उतार दिया, बाकी काम वहां स्टाफ को करना है। पिता मनोज पांडेय गोपालगंज में बिहार पुलिस में एएसआई हैं और बीच-बीच मे आकर मॉनिटरिंग करते रहते हैं।

पर्यावरण संरक्षण से जोड़ेंगे स्टार्टअप को

रणधीर बताते हैं कि भविष्य में वे अपने स्टार्टअप को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ेंगे। अभी वे लोग स्टाल पर किसी तरह का प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करते हैं और केवल कुल्हड़ में चाय देते हैं। भविष्य में वे लोग उपयोग में लाये गए कुल्हड़ को हाई प्रेसर पानी से धोने के बाद उसमें पौधा का बीजारोपण कराएंगे और उसे भी स्टाल के जरिये काफी कम कीमत पर ग्राहकों को देंगे।