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फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली गैसें सोख लेता है ऐरेका पाम

हिसार। मेडागास्कर मूल का यह खूबसूरत पौधा अंडमान, जमैका, प्यूटो रिको और हैती जैसे द्वीपों पर भी काफी पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम क्राइसिलेजोकार्पस ल्यूटसेंस और बोटेनिकल (वानस्पतिक) नाम डिप्सिस ल्यूटसेंस है। इस पौधे का जीवनकाल लगभग 10 वर्ष का होता है। इसे अन्य नामों जैसे गोल्डन केन पाम, येलो पाम या बटरफ्लाई पाम के नाम से भी जाना जाता है। लंबी पंख रूपी पत्तियों के कारण इसे बटरफ्लाई पाम कहा जाता है। वानस्पतिक रूप से फूलदार पौधा होने के बावजूद इसमें फूल बहुत कम आते हैं, मुख्य रूप से यह सजावटी पौधे के रूप में ही जाना जाता है।
खुद तैयार करें नए पौधे: एक पौधा लगाने के बाद खुद नया पौधा तैयार कर सकते हैं। इसके लिए दो से तीन साल पुराने पौधे को लें। उसमें पत्तियों की कम से कम आठ से दस डंडियां होनी चाहिए। गमले से बाहर निकालकर किसी बड़े चाकू या आरी की मदद से सावधानी से जड़ से पौधे को दो हिस्सों में काट दें। फिर जड़ों की थोड़ी छंटाई करके दोनों पौधों को अलग-अलग गमलों में लगा दें। इसकी जड़ें तेजी से बढ़ती हैं, इसलिए इस पौधे को ऐसे गमले में लगाएं जो इसकी जड़ से दो गुना हो। अच्छी ग्रोथ के लिए एक साल बाद री-पॉट करें और गमले में नई मिट्टी भरें। 50 से अधिक हैं प्रजातियां ऐरेका पाम की दुनियाभर में 50 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इस पौधे को भारत, बांग्लादेश, ताइवान, मलेशिया और अन्य एशियाई देशों में उगाया जाता है।
खासियत: एयरकंडीशनर चलने की वजह से कमरे की हवा में नमी की मात्रा कम हो जाती है। यह पौधा इस कमी को दूर करता है और हवा में नमी की मात्रा को बढ़ाता है।यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों जैसे कार्बन मोनोआक्साइड, फोर्मेल्डिहाइड, जाइलीन, टोलुईन, नाइट्रोजन डाइआक्साइड और ओजोन को सोख लेता है।
वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार गर्भवती महिलाओं के कमरे में इसे लगाने से भ्रूण के विकास में सहायता मिलती है।