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प्रेसिडेंट ने इन्हें दिया है पद्म अवॉर्ड, जन्म से अब तक नहीं पहनी चप्पल

नई दिल्ली/भुवनेश्वर.राष्ट्रपति भवन में प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी ने हाल ही में धीरूभाई अंबानी, श्री श्री रविशंकर, साइना नेहवाल जैसी 56 नामी हस्तियों को पद्म अवॉर्ड से सम्मानित किया। इनमें एक ऐसे शख्स का भी नाम शामिल है, जो जीवन की तमाम कठिनाइयों को हराकर आज समाज के लिए प्रेरणा बन चुका है। उनका नाम है कवि हलधर नाग, जिन्हें लोग ‘लोक कवि रत्न’ के नाम से भी जानते हैं। एक यूनिवर्सिटी के 5 रिसर्च स्कॉलर उनके काम और जीवन पर PhD कर रहे हैं।तीसरी क्लास तक पढ़ें हैं हलधर…
– 1950 में ओडिशा के बारगढ़ जिले में हलधर का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। बड़ी मुश्किल से तीसरी क्लास तक पढ़ाई की। 10 साल की उम्र में पिता का निधन हो गया।
– इसके बाद उन्हें अपना और परिवार का पेट पालने के लिए मिठाई की दुकान पर 2 साल तक बर्तन धोने का काम करना पड़ा।
– गांव के सरपंच ने उन्हें स्कूल में खाना पकाने का काम दिया। 16 साल एक स्कूल में नौकरी की। तब उन्हें पैसे उधार लेकर छोटी-सी स्टेशनरी शॉप खोलने का आइडिया आया।
– ये वही दौर था जब हलधर का इंटरेस्ट कविता और राइटिंग की ओर हुआ। पहली कविता ‘धोनो बारगछ’ (ओल्ड बनयान ट्री) 1990 में लोकल मैगजीन में छपी थी।
– कवि हलधर ने अपने जीवन में कभी जूते-चप्पल नहीं पहने। कपड़ों के रूप में वह सिर्फ धोती और बनियान ही पहनते हैं।
यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाती हैं इनकी कविता
– नाग कहते हैं कि एक विधवा के बच्चे का जीवन बड़ा कठिन होता है। हर पल एक नई चुनौती आपके सामने होती है।
– उनकी कविताएं देश की कई यूनिवर्सिटी के कोर्स में पढ़ाई जाती हैं। हलधर ग्रंथावली-2 में उनकी प्रमुख रचनाओं को शामिल किया गया।
– हलधर ने मुख्य रूप से आर्ट एंड कल्चर, नेचर, धर्म और समाज पर कविताएं लिखीं।
– 66 साल के हलधर नाग कोसली लैंग्वेज के मशहूर कवि हैं। उन्होंने कई कविताएं और 20 महाकाव्य लिखे।