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प्रदूषण और गलत लाइफस्टाइल जैसे कारण पुरुषों में प्रजनन क्षमता में कमी

पुरुष प्रजनन : डॉक्टरों के मुताबिक जब कोई पुरुष एक साल तक लगातार संबंध बनाने के बावजूद पिता नहीं बन पाता है तो इसे प्रजनन या बांझपन कहते हैं. हालांकि इसके लिए महिला और पुरुष दोनों की जांच की जरूरत है जिससे यह पता लगाया जा सके कि इनफर्टिलिटी पुरुष में है या महिला में. आमतौर पर जांच से पहले ज्यादातर मामलों में महिलाओं को ही इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार माना जाता है लेकिन कई मामलों में पुरुष भी जिम्मेदार होते हैं. अधिकतर पुरुषों में इनफर्टिलिटी का कारण शुक्राणुओं की संख्या में कमी या इनकी खराब गुणवत्ता होती है. स्पर्म की खराब गुणवत्ता की मुख्य वजह आधुनिक लाइफस्टाइल है, जिनमें प्रदूषण और गलत खान-पान सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. एचटी की खबर के मुताबिक पश्चिमी देशों में हर 8 में से एक मर्द इनफर्टिलिटी के शिकार हैं. सेलफोन, लेपटॉप, प्लास्टिक आदि स्पर्म के लिए दुश्मन है. इसके अलावा हवा में जितने अधिक टॉक्सिन बढ़ते हैं, उतनी अधिक पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है.

पुरुषों में इनफर्टिलिटी के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं. –
एक अध्ययन में कहा गया कि पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण के कारण पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटने लगी है. शोधकर्ताओँ ने चिंता जाहिर की है पर्यावरण में टॉक्सिन या जहरीले रसायन की जितनी मात्रा बढ़ेगी उतनी अधिक पुरुषों में इनफर्टिलिटी भी बढ़ेंगी. 1990 से ही शोधकर्ता इसके लिए चिंता जाहिर कर रहे हैं.
1992 के एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी कि पिछले 60 सालों में पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में 50 प्रतिशत तक गिरावट आई है. 2017 में भी एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि 1973 से 2011 के बीच पुरुषों के शुक्राणुओं के घनत्व में भी 50 से 60 प्रतिशत की कमी आई है. एक सामान्य पुरुष में शुक्राणुओं का स्पर्म कंस्ट्रेशन प्रति मिलीलीटर 1.5 करोड़ से 20 करोड़ होना चाहिए.
कई रिसर्च में कहा गया है कि पुरुषों में अंतः स्रावी ग्रंथि -इंडोक्राइन प्रभावित हो रही है जिसके कारण प्रजनन को संतुलित करने वाला हार्मोन बिगड़ रहा है. इसकी मुख्य वजह प्लास्टिक से निकलने वाला हानिकारक रसायन प्लास्टिसाइजरहै. यानी प्लास्टिक प्रजजन क्षमता को बहुत प्रभावित कर रहा है. जैसे हर्वीसाइड पेस्टीसाइड होते हैं, उसी तरह प्लास्टिक से निकलने वाले हानिकारक रसायन को पलास्टिसाइजर कहते हैं.
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एयर पॉल्यूशन के कारण सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य हानिकारक टॉक्सिन स्पर्म की क्वालिटी को खराब करने के लिए जिम्मेदार हैं.
इसके अलावा लेपटॉप, सेलफोन, मॉडम भी स्पर्म की गुणवत्ता खराब करने के लिए जिम्मेदार हैं. इन सबसे निकले रेडिएशन से स्पर्म की गति और आकार खराब होते हैं.
फूड्स में मौजूद हैवी मेटल कैल्सियम, लेड, आर्सेनिक, कॉस्मेटिक आदि स्पर्म की हेल्थ के लिए बहुत हानिकारक है.