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बिना सड़क वाले गांवों

इस गांवों में जाने से पोलिंग पार्टियां भी घबराती !!

आगरा । चंबल का बीहड़ कभी डाकुओं के लिए कुख्‍यात था। अंग्रेज गए तो देश आजाद हुआ, डकैत भी धीरे धीरे खत्‍म हो गए। तब से लेकर अब तक संसद और विधानसभा में कितनी ही सरकारें बदल गईं लेकिन इस इलाके का हाल नहीं बदला। चंबल नदी से सटे बीहड़ में बसे कई गांव आज भी ऐसे हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं नहीं। सड़क बनने का इंतजार अब भी हो रहा है। इस इलाके में मतदान कराना भी बड़ा दुरूह कार्य है। दरअसल पहले नाव के जरिए पोलिंग पार्टियां पहुंचती थीं और अब ट्रैक्‍टर से ऊबड़खाबड़ रास्‍ते में होते हुए। 10 साल पहले ही यहां बिजली पहुंची लेकिन ये भरोसा नहीं कब आएगी और कब जाएगी। बिना बिजली और बिना सड़क वाले गांवों में मतदान कराने से जाने से पोलिंग पार्टियां भी घबराती हैं।

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2012 में आई बिजली, चली जाती है 15 दिन तक

गुढ़ा के श्रीकिशन व रामसेवक और सुन्‍सार के रहने वाले रामसनेही का कहना है कि सन 2012 में बिजली की लाइन डाली गई थी लेकिन बारिश के सीजन में यह 15 दिन तक के लिए चली जाती है क्‍योकि बीहड़ के बीच लगे खंभे पानी में डूब जाते हैं। यदि तारों में कहीं फाल्‍ट हो जाए तो तीन-चार दिन तक सही नहीं होती। हर दिन 24 घंटे में से 16 घंटे तक आपूर्ति भंग रहती है।

ट्रॉली पलट जाने का रहता है पोलिंग पार्टी को डर

मतदान कराने के लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टी ट्रैक्टर से इन गांवों में पहुंचती हैं। ट्रैक्टर ट्राली में बैठे मतदान कर्मी टीलों के बीच से गुजरते रास्ते से निकलते हैं तो उनकी सांस अटकी रहती हैं। कहीं ट्राली पलट न जाय।

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सालों से उठ रही मांग

आजादी के सात दशक बीत गए, हर चुनाव से पहले यहां सड़क की मांग उठती है। मतदान बहिष्कार का ऐलान होता है। कई सरकार आईं लेकिन सड़क की मांग अभी भी अधूरी है। सुन्सार यमुना के खादर व गुढ़ा चंबल के बीहड़ से घिरा हुआ है। गुढ़ा में तो चंबल का पानी पीने व खाना बनाने तक के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है।

ये हालात हैं बाह विधानसभा क्षेत्र में स्थित सुन्सार और गुढ़ा गांव के। सुन्सार यमुना की तीेर में बसा है तो गुढ़ा चंबल नदी किनारे। चंबल किनारे बसा गुढ़ा गांव बाह से करीब 18 किमी सिमराई गांव पहुंचने के बाद कच्ची सड़क पर है। वह भी ऊबड़-खाबड़ रास्‍ता है। गांव की आबादी जो कभी 1200 से अधिक होती थी। विकास न होने व आने जाने के लिए सड़क न होने के कारण महज 600 के करीब ही रह गई है। लोग पलायन कर चुके हैं।

गांव में अब युवा कम ही दिखते हैं। यहां पर मतदाता की संख्या 336 है। इसके विपरीत दिशा में यमुना के तीरे में बसा सुन्सार गांव की आबादी 1000 है और कुल मतदाता 587 हैं यहां। लेकिन बाह से पांच किमी पक्का रास्ता उसके बाद छह किमी तक कच्‍चे रास्ते पर होते हुए इस गांव तक पहुंचा जा सकता है। अगर बारिश का मौसम हो तो यहां सही सलामत पहुंच पाना ही बड़ी बात है। दोनों ही गांव के लोगों का कहना है चुनाव के दौरान नेता आते हैंं और सड़क बनवाने का आश्वासन देते हैं लेकिन फिर पांच साल पलट कर नहीं देखते हैं।