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हॉलमार्किंग

पुश्तैनी ज्वैलरी पर भी हो सकेगी हॉलमार्किंग !

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) ने गोल्ड ज्वैलरी पर पिछले साल 16 जून से हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी थी। इसके बाद नई ज्वैलरी पर हॉलमार्क शुरू कर दिया गया था। लेकिन जिन लोगों के पास पुश्तैनी या पुराना सोना है, वे अपनी ज्वैलरी हॉलमार्क नहीं करा पा रहे थे।

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अब घर में रखे सोने के पुश्तैनी ज्वैलरी की शुद्धता की जांच के बाद हॉलमार्किंग करवाई जा सकेगी। इसके लिए बीआइएस ने हाल ही में निर्देश जारी किए हैं। अभी तक पुराने सोने के दाम तय करना सराफा कारोबारी पर ही निर्भर था, लेकिन पुराने गहनों पर हॉलमार्क होने के बाद ग्राहक के पास शुद्धता का सर्टिफिकेट होगा।

न्यूनतम फीस 236 रुपए – पुरानी ज्वैलरी की हॉलमार्किंग फीस न्यूनतम 236 रुपए तय की गई है। जिसमें से 1 से 6 पीस ज्वैलरी तक की हॉलमार्किंग करवाई जा सकेगी। अभी तक पुराने सोने की कीमत तय करना सराफा व्यापारी पर ही निर्भर था और मनचाहा भाव बता दिया जाता था। पर अब सराफा कारोबारी ग्राहकों को पुरानी ज्वैलरी का मनचाहा भाव नहीं बता सकेंगे, क्योंकि ग्राहक के पास अब हॉलमार्क और शुद्धता का सर्टिफिकेट होगा।

पुश्तैनी ज्वैलरी व सोना की हॉलमार्किंग करवाने पर ग्राहक से बिल व ज्वैलरी कहां से आई इसके बारे में कोई पूछताछ नहीं की जाएगी। इसके लिए ग्राहक को एक आवेदन पत्र भरकर देना होगा, जिसमें नाम, पता, फोटो, ज्वैलरी का वजन व संख्या लिखनी पड़ेगी। घर में रखे पुराने सोने को अब हॉलमार्क कराया जा सकेगा। इसके लिए दिशा-निर्देश जारी हो गए हैं। ऐसे में अब ग्राहक के पास पुश्तैनी सोने का हॉलमार्क और शुद्धता का सर्टिफिकेट भी होगा।