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पंजाबी की 5 लाइनों में की 15 गलतियां, अपने ही सब्जेट को सही नहीं लिख पाए टीचर

मोहाली. देश में सबसे ऊंचे पे स्केल वाले पंजाब के सरकारी टीचर्स का हाल देखिए। शिक्षा बोर्ड के ऑडिटोरियम में बुधवार को 500 टीचर मंत्री डॉ. दलजीत चीमा को लिखित सुझाव दे रहे थे कि अच्छा रिजल्ट कैसे सकता है। पठानकोट की एक पंजाबी टीचर ने पंजाबी में ही सिर्फ पांच लाइनें लिखीं, उसमें भी 15 गलतियां निकलीं। यही हाल दो इंग्लिश टीचर का था। एक ने English को Englizh और दूसरे ने Different को Difftirent लिखा। मंत्री ने जब ये जवाब प्रोजेक्टर पर दिखने शुरू किए तो टीचर अपनी ही गलतियों पर ठहाके लगाकर हंसते रहे। दरअसल, शिक्षामंत्री ने उन 500 टीचर्स को बुलाया था, जिनके स्कूल का रिजल्ट बहुत खराब आया था।पढ़िएअपनी नाकामी ऐसे छिपानी चाही…
1. हरदयाल सिंह (बरनाला) स्कूलमें 32 बच्चे, 18 फेल
जवाब:
मैं तो खुद हैरान हां, हरदयाल सिंह ने पढ़ाया होवे ते बच्चा फेल हो जावे, एह किवें हो सकदा है?
डॉचीमा- तांही मैं वी हैरान हां, हरदयाल सिंह ने पढ़ाया होवे ते, बच्चों का ये हाल है।
(ऑडिटोरियम ठहाकों से गूंज उठा।)
2. लखविंदर कौर, इंग्लिशटीचर: सभी 39 बच्चे फेल
जवाब:बच्चे नालायक हैं जी। अब मैं उनका दिमाग तो नहीं बदल सकती। इनका क्या करूं?
-डॉचीमा- मैंएमबीबीएस हूं। इतना तो मैं भी जानता हूं कि दिमाग नहीं बदल सकते। ढंग से पढ़ा तो सकते हैं।
3. विद्या देवी, सीरी 36में 33 फेल
जवाब: बच्चे बहुत शरारती हैं। स्कूल में ही पटाखे चला देते हैं। कई बार पुलिस भी बुलानी पड़ी है।
-डीईओकी सफाई- सर!स्कूल के प्रिंसिपल को बदल दिया गया है आगे से रिजल्ट ठीक आएगा।
4. अनिता रानी, रामगढ़जवंधा, जिला संगरूर, पास प्रसेंटेज 9%
जवाब-मैं बहुत नर्वस हो गई हूं। इसलिए भूल ही गई हूं कि मेरा रिजल्ट कितना आया है।
-डीईओने बताया किइनका रिजल्ट भी खराब है।
5. कमलेश कुमारी, पठानकोट,इनके जवाब में 15 गलतियां थीं
जवाब-हमारे यहां डोगरी बोली जाती है, इसलिए पंजाबी में गलतियां हो जाती हैं।
-डॉचीमा- हमपंजाब की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और पंजाब में ही पंजाबी टीचर गलतियां कर रहे हैं। स्टूडेंट्स को छोडिए आप अपने आप में कैसे इंप्रूवमेंट करेंगी, ये बताइए?’चीमा ने उनके प्रिंसिपल को बुलाया गया तो वो भी हंसते हुए कहने लगे कि सुधार करवाया जाएगा। इस पर पठानकोट के डीईओ को भी बुला लिया गया। तीनों कतार में खड़े हंस रहे थे।
ये अजीब तर्क भी दिए…
– ज्यादातर स्टूडेंट बाहरी राज्यों से आए हैं या लेबरर्स के बच्चे हैं। वे पढ़ते नहीं हैं। इसलिए रिजल्ट खराब आया।
– स्कूल में माहौल ठीक नहीं है।
– स्कूल में पंचायत का हस्तक्षेप बहुत ज्यादा रहता है।
– स्टूडेंट्स के पेरेंटस मेहनत नहीं कराते। कई पेरेंट्स बच्चों के प्रति गैरजिम्मेदार हैं।
– मैथ्स का सलेब्स काफी लैंथी है। इसे दो टुकड़ों में बंटना चाहिए।
– हिंदी के दोहे जटिल होते हैं, बच्चे समझ नहीं पाते।
– हमनें कोशिश बहुत की, पता नहीं रिजल्ट ऐसा कैसे आया।
– पढ़ाया था, पर बच्चों ने एग्जाम में पता नहीं क्यों नहीं लिखा।