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नियुक्ति पत्र वितरण पर बोले सीएमः 2017 से पहले प्रदेश में प्रत्येक नौकरी का तय था रेट

लखनऊ, संसू। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित अधिकारियों के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकार में नौकरियों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर निशाना साधा। सीएम ने कहा कि 2017 से पहले हर सरकारी नौकरी का रेट तय था। अटल बिहारी कन्वेंशन सेंटर में मुख्यमंत्री ने 58 एसडीएम, 34 बीएसए, 43 वरिष्ठ प्रवक्ता, 173 समीक्षा अधिकारी, 398 गन्ना पर्यवेक्षक और 10 ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए।
सीएम ने कहा कि पहले सभी आयोग भ्रष्टाचार में लिप्त थे और नौकरियों की बोली लगाई जाती थी। पुलिस से लेकर लेखपाल तक कोई भी नौकरी बिना रिश्वत के नहीं होती थी। वर्ष 2015 में मेरे पास एक सज्जन आए और बोले इस बार बेटा एसडीएम बन जाएगा। मैने पूछा कि क्या इतना योग्य है कि परीक्षा से पहले ही भविष्यवाणी कर दी। सज्जन बोले, नहीं आयोग के अफसर से 62 लाख रुपये में बात तय हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा, यह हाल था नौकरियों का। नौकरियों के दौरान भाई-भतीजा, चाचा सभी मलाई बांटते थे। 2014-15 में 86 एसडीएम की भर्तियां इसी तरह की गईं, जिसकी सीबीआइ जांच भी चल रही है। भर्ती से लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग एक सुनियोजित कारोबार था। मेरी सरकार ने इस पूरे सिस्टम को बदला और अब नौकरियों में एक रुपया रिश्वत नहीं ली जा रही है।
जिन लोगों पर जरा सा भी संदेह था, वहां भर्तियां रद कीं और अफसरों के नाम एसटीएफ को भेज दिए। मुख्यमंत्री ने नए अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार बदलने से नहीं, अधिकारियों के काम करने से सुशासन आता है। पिछली सरकार और अफसरों के गठजोड़ से प्रदेश इस कदर बदनाम था कि यहां पर निवेशक आने से घबराते थे। प्रदेश के कुछ जिले तो इस कदर बदनाम थे कि बाहरी राज्यों में होटल वाले कमरा तक नहीं देते थे, मगर मेरी सरकार में प्रदेश की छवि पूरी दुनिया में बदली है। अब निवेशक सबसे पहले यूपी की तरफ रुख कर रहा है। रोजगार के लिए लोगों को बाहर नहीं जाना पड़ रहा है। करीब सवा लाख नौकरियां सरकार ने दी हैं। भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रदेश की नीतियां दूसरे प्रदेश अपना रहे हैं। यह बदलाव की बयार है।