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नरेश्वर मंदिर

नरेश्वर मंदिर : चौकोर शिवलिंग को छूकर निकल जाता है झरने का पानी

नरेश्वर ग्वालियर से लगभग 30 किमी और मुरैना से लगभग 50 किमी दूर स्थित शिव मंदिरों की एक श्रृंखला है। हालांकि यहां पहुंचने का रास्ता अभी ठीक नहीं है। लेकिन इन मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि इनका निर्माण तीसरी से सातवीं शताब्दी में हुआ था। यह गुप्त काल में बनाया गया था या गुर्जर प्रतिहार काल में अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। नरेश्वर मंदिर के पास तालाब हैं। इसलिए यहां चट्टानों को काटकर उनके नीचे शिव मंदिरों का निर्माण किया गया। यानी जल लोक को शिवधाम में बदल दिया गया। बरसात के दिनों में तालाबों से गिरने वाले झरने का पानी शिवलिंग को छूकर निकल जाता है। ऐसे में यहां का नजारा काफी मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है।

ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नरेश्वर का इलाका इतना दुर्गम है कि यहां तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। उबड़-खाबड़ रास्तों से करीब तीन किलोमीटर चलने के बाद यह जगह जंगल से घिरे पहाड़ों में मौजूद है। यहां मंदिरों का निर्माण तीसरी से पांचवीं शताब्दी (गुप्त काल) में माना जाता है, लेकिन उनकी भव्यता नौवीं शताब्दी के प्रतिहार काल में फली-फूली।

नरेश्वरी में ये हैं खास-

वर्तमान में यहां 23 मंदिरों की श्रंखला है, जिसमें एक मंदिर हरसिद्धि माता का है, बाकी मंदिरों में शिवलिंग है। 23 मंदिरों के अलावा 20 से 25 मंदिर खंडहर में पत्थरों के रूप में बिखरे हुए हैं। यहां के मंदिरों का निर्माण वर्गाकार है, जो देश में कहीं भी देखने को नहीं मिलता है। नरेश्वर मंदिर का मुख्य शिवलिंग भी वर्गाकार यानी चौकोर है।

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आश्चर्य से भरे इस स्थान पर जल निकासी और संरक्षण का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। पहाड़ी की चोटी पर बने मंदिरों के पीछे दो तालाब हैं, जो बारिश में भर जाते हैं। इन तालाबों का पानी ऊपर से, बीच से और मंदिर के नीचे से इस तरह निकाला गया है कि आज तक मंदिरों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। बारिश के दिनों में तालाब लबालब हो जाते हैं और इसी जल से मुख्य शिवलिंग का जलाभिषेक भी स्वतः ही हो जाता है।

पत्थर के ढेर से निकल रहे मंदिर के अवशेष-

एएसआई द्वारा यहां जीर्णोद्धार का काम शुरू करने से पहले धंसे हुए पत्थर के ढेर की खुदाई की गई। यहां बने मंदिरों के कई हिस्से इन्हीं ढेरों से निकले हैं। इन हिस्सों को जोड़कर कुछ मंदिरों को फिर से खड़ा किया गया है। इनमें एक हनुमान मंदिर भी है। इस मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर के अलावा एक दुर्गा मंदिर भी है, जो ऊंचाई पर अलग से बनाया गया है।

कैसे पहुंचे नरेश्वर-

मुरैना से नूराबाद शहर होते हुए रिठौरा और रिठौरा से नरेश्वर पहुंचा जा सकता है। इसी तरह ग्वालियर से मालनपुर होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है। वाहनों को मंदिर से करीब तीन किमी पहले ही छोड़ना पड़ता है और वहां से पैदल चलकर नरेश्वर के मंदिरों तक पहुंचा जा सकता है।