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दी चुनौती-हिम्मत है तो बनाओ राम मंदिर RSS चीफ को हासिम अंसारी ने

फैजाबाद. बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिराए जाने की बरसी से ठीक पहले राममंदिर पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत के ताजा बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है। मोदी सरकार पर विपक्ष हमलावर है। उधर, बाबरी मस्जिद के मुद्दई हासिम अंसारी ने भी मोहन भागवत को देश के विकास पर ध्यान देने की नसीहत देने के साथ ही राम मंदिर बनाने की चुनौती भी दी है। हासिम अंसारी ने कहा,”मंदिर-मंदिर चिल्ला रहे हो जरा मद्रास (चेन्नई) की तरफ देखो। देश के विकास की तरफ देखो, लाखों आदमी भूख से मर रहे हैं, उसकी तरफ देखो। बस मंदिर बनाओगे। क्या मंदिर बनाओगे। बनाओ मंदिर-बनाओ हिम्मत है तो बनाओ। बस रामलला को जेल में रखकर राजनीति करते हो। मोहन भागवत से कह दो आकर देखें। अगर सच में अपने धर्म को मानते हैं तो सच बोलें।”
‘जबरदस्ती एक ईंट रखकर दिखाएं’
बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकार हाजी महबूब बातचीत को तो तैयार हैं, लेकिन चुनौती देते हैं कि जबरदस्ती एक ईंट भी नहीं रखने देंगे। हाजी महबूब ने भागवत के बयान पर कहा, ‘मंदिर कैसे बनाएंगे। क्या वहां से राम…। राम को हर आदमी इज्जत देता है। हम भी चाहते हैं कि अयोध्या में मंदिर बने, भव्य मंदिर बने। लेकिन क्या किसी को नष्ट करने के बाद वहां आप मंदिर बनाएंगे। इनकी हैसियत है मंदिर बनाने की? किसको पता है आप मर जाएं कि हम कब मर जाएं। इनके कार्यकाल में तो अदालत में मामला है। जो फैसला आयेगा उसे हम मानेंगे। या आएं मिल बैठकर बात करें। लेकिन अगर कहें कि जबरदस्ती एक ईंट रखकर दिखाएं।”
‘मोदी के कार्यकाल में ही बनेगा मंदिर’
वहीं, अयोध्या के संत राममंदिर को लेकर आरएसएस चीफ के बयान से उत्साहित नजर आ रहे हैं। राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास ने कहा, ”मोहन भागवत एक प्रमाणिक व्यक्ति हैं। आरएसएस के प्रमुख हैं। उन्होंने जो कहा है, हम लोग उसका समर्थन करते हैं। हमलोगों को भी यह विश्वास है की भगवान की कृपा से मोदी जी के कार्यकाल में राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो जाना चाहिए। हमलोग उनके बचन और उनकी भावना का आदर करते हैं। ऐसी संभावना प्रकट करते हैं कि मोदी जी के कार्यकाल में राम मंदिर बनेगा।”
क्या कहा था आरएसएस चीफ ने?
>कोलकाता में बुधवार रात एक प्रोग्राम में भागवत ने कहा, ”अयोध्या में राम मंदिर के लिए सावधानी से प्लानिंग करनी होगी। उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि मंदिर मेरी जिंदगी में ही बन जाएगा। हो सकता है कि हम इसे अपनी आंखों से देख पाएं। ये कोई नहीं कह सकता कि कब और कैसे मंदिर बनेगा? लेकिन इसके लिए हमें तैयारी भी करनी होगी और तैयार भी रहना होगा।”
>उन्होंने कहा, “मंदिर निर्माण के लिए हमें जोश और होश, दोनों को सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा। राम और शरद कोठारी ने इसकी शुरुआत की थी।” उन्होंने कहा कि राम मंदिर अयोध्या में ही इसलिए बनाना जरूरी है, क्योंकि वहीं भगवान राम का जन्म हुआ था।
> “अमेरिका में आतंकियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला इसलिए किया, क्योंकि वही अमेरिका की आर्थिक मजबूती का प्रतीक था। इसी तरह अयोध्या में राम मंदिर पर कई आतंकी हमलों की कोशिश इसलिए हुई, क्योंकि यह हमारी संस्कृति का प्रतीक है। उस वक्त हम ज्यादा कुछ इसलिए नहीं कर पाए, क्योंकि तब हम कमजोर थे। लेकिन अब काम पूरा करने का वक्त आ गया है।”
>“भारतीय संस्कृति सबको साथ लेकर चलने की बात करती है। हम अनेकता में एकता की बात करते हैं। यही भारतीय संस्कृति है।”
> “मजहब कभी आतंकवाद नहीं सिखाता। यह हमें सबको साथ लेकर चलने की सीख देता है।”
छह दिसंबर को होगी विशाल जनसभा
दिसंबर बाबरी विध्वंस की बरसी पर विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) अयोध्या में एक बड़ी सभा का आयोजन करने जा रहा है। वीएचपी प्रवक्‍ता शरद शर्मा ने बताया कि हर साल छह दिसंबर को अयोध्या में शौर्य दिवस मनाया जाता है। इस दौरान सभा अयोजित की जाती है, जिसमें अयोध्या के सभी साधु-संत शामिल होते हैं। वहीं, इस बार सोशल मीडिया के जरिए लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। इस दौरान राम मंदिर निर्माण के लिए कुछ महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर बात होगी।
क्या है राम मंदिर आंदोलन?
राम मंदिर मुद्दा 1989 के बाद अपने उफान पर था। इस मुद्दे की वजह से तब देश में सांप्रदायिक तनाव फैला था। देश की राजनीति इस मुद्दे से प्रभावित होती रही है। हिंदू संगठनों का दावा है कि अयोध्या में भगवान राम की जन्मस्थली पर बाबरी मस्जिद बनी थी। मंदिर तोड़कर यह मस्जिद बनवाई गई थी। राम मंदिर आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया गया था। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है।