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दिल्ली के अस्पतालों में डाक्टर्स की हड़ताल से नहीं चलेगी ओपीडी

कोरोना महामारी और नए वैरिएंट की दहशत के बीच डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी कोई कदम नहीं उठाया है। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन और रेजीडेंट डॉक्टरों के बीच चर्चा होना जरूरी है।
नीट पीजी काउंसलिंग में देरी के चलते दिल्ली के अस्पतालों में शुक्रवार से डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। गुरुवार को सफदरजंग सहित अलग-अलग अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों ने समर्थन देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल नहीं होने की घोषणा की है। इनका कहना है कि शुक्रवार से अस्पतालों में ये ओपीडी भी नहीं चलने देंगे। इसके चलते अस्पतालों में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
जानकारी के अनुसार दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के अलावा डीडीयू, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, आरएमएल अस्पताल, लोकनायक, जीटीबी सहित कई अस्पतालों में हड़ताल होने की पुष्टि हो चुकी है। जबकि कुछ अस्पतालों में आरडीए ने देर रात तक फैसला नहीं लिया है, लेकिन फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) का कहना है कि सभी सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल के समर्थन में हैं।  नीट पीजी काउंसलिंग को लेकर बीते सोमवार को भी देशभर में रेजीडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने जल्द से जल्द काउंसलिंग कराने पर आश्वासन भी दिया था, लेकिन तय समय के बाद भी मांग पूरी न होने की वजह से डॉक्टरों ने अब हड़ताल पर ही रहने का फैसला लिया है। हालांकि दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों की बात करें तो अलग-अलग जगहों पर बीते सोमवार से ही रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल देखने को मिल रही है।                                                                                                                   उधर कोरोना महामारी और नए वैरिएंट की दहशत के बीच डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी कोई कदम नहीं उठाया है। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन और रेजीडेंट डॉक्टरों के बीच चर्चा होना जरूरी है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन एक मामले में केंद्र सरकार ने नीट पीजी काउंसलिंग को अस्थायी तौर पर रोकने और नए दिशा निर्देशों को लाने की जानकारी दी थी। इसके बाद डॉक्टरों का प्रदर्शन देश भर में शुरू हुआ है।                        डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से पहले ही उनका शैक्षणिक सत्र एक वर्ष पीछे चल रहा है। परीक्षाओं में देरी के बाद अब काउंसलिंग में देरी होने से उनका काफी नुकसान हो रहा है, जिसकी भरपाई सरकार नहीं करेगी। ऐसे में उन्होंने हड़ताल के जरिए अपनी मांग मनवाने का निर्णय लिया है।