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तेलुगू फिल्मों ने सबसे ज्यादा किया लोगों का मनोरंजन !!

देश में कोरोना लॉकडाउन के दिनों में दर्शकों का मनोरंजन करने में तेलुगू फिल्म सबसे आगे रही हैं। हिंदी और अन्य भाषाओं के मुकाबले तेलुगू फिल्मों को लोगों ने ज्यादा पसंद किया और देखा है। हाल ही में आई अल्लू अर्जुन अभिनीत पुष्पा फिल्म (तेलुगू) वर्ष 2020—2021 में तान्हाजी (हिंदी) के बाद दूसरी सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म रही है। ऑरमैक्स बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 और 2021 में बॉक्स-ऑफिस कमाई में तेलुगू सिनेमा की हिस्सेदारी पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई है।

लता मंगेशकर की नाजुक हालत !!

अब ये हिस्सेदारी बढ़कर 29 फीसदी हो गई है जो हिंदी की 27 फीसदी और तमिल सिनेमा की 17 फीसदी की हिस्सेदारी से कहीं अधिक है। जबकि बॉक्स ऑफिस में चार दक्षिण भारतीय भाषाओं तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़ भाषा का योगदान 2020-21 में बढ़कर 59 फीसदी तक हो गया है, जो वर्ष 2019 में महज 36 फीसदी था। जबकि हिंदी की हिस्सेदारी 44 फीसदी से घटकर महज 27 फीसदी पर आ गई है।

मुंबई स्थित ऑरमैक्स मीडिया देश की उन चुनिंदा बड़ी कंपनियों में शामिल है जो मनोरंजन कारोबार का विश्लेषण करती है। कंपनी अपनी सालाना रिपोर्ट फिल्म निर्माताओं, वितरकों और कारोबार विश्लेषकों जैसे उद्योग के सूत्रों से प्राप्त अनुमानों के आधार पर तैयार करती है। कंपनी अपनी यह रिपोर्ट अनुमानित आंकड़ों के आधार पर बनाती है।

20-21 में बॉक्स ऑफिस कमाई महज 5,757 करोड़ रुपये-

रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस के प्रतिबंध के चलते देशभर के सिनेमाघर लंबे समय तक बंद रहे हैं जिससे फिल्म उद्योग का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। किसी भी फिल्म की कमाई में दो-तिहाई हिस्सा बॉक्स आफिस से आता है। वर्ष 2020 और 2021 की कुल बॉक्स ऑफिस कमाई महज 5,757 करोड़ रुपये रही। जबकि अकेले वर्ष 2019 में ही 11,000 करोड़ रुपये हुई थी।

रिपोर्ट में विश्लेषकों का कहना है कि बॉक्स ऑफिस की सबसे बड़ी भाषा हिंदी की बजाय तेलुगू रही, यह चौंकाने वाली बात है। अन्य किसी भाषा की तुलना में हिंदी करीब आठ से 10 गुना अधिक लोगों द्वारा बोली और देखी जाती है। इसलिए हिंदी फिल्म प्रदर्शित करने के लिए कई राज्यों में सिनेमाघर खुले होना जरूरी हैं, जबकि तेलुगु या तमिल को केवल एक या दो राज्यों के खुले होने की ही जरूरत होती है। इस वजह से महामारी के दौरान हिंदी फिल्मों को रिलीज करना लगभग नामुमकिन हो गया, क्योंकि एक समय सभी राज्यों में लॉकडाउन था।

एक्शन फिल्में हैं पसंद-

दूसरा, दक्षिणी बाजार मुख्य रूप से सिंगल स्क्रीन सिनेमा पर निर्भर है। जबकि हिंदी सिनेमा पिछले करीब दो दशक में मल्टीप्लेक्स पर आधारित हो गया है। एक व्यापक जनसमूह के लिए एक्शन फिल्में अब हिंदी में मुश्किल से ही बनती हैं, जो सिंगल स्क्रीन की पसंदीदा होती हैं। दक्षिणी सिनेमा ने अब भी इन दर्शकों की नब्ज पकड़ रखी है। इसलिए 2020 और 2021 में जब-जब सिनेमा खुले, तमिल (मास्टर) और तेलुगू फिल्मों (वकील साब, उप्पेना) ने तगड़ा कारोबार किया।