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Rajnath Singh: Defence Minister Rajnath Singh Fly Light Combat Fighter Tejas Jet Plane Aircraft In Bengaluru
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तेजस विमान में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री बने राजनाथ

  • तेजस को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने विकसित किया
  • इसी साल 21 फरवरी को डीआरडीओ ने बेंगलुरु में हुए एयरो शो में तेजस को फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस दिया था

बेंगलुरु. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बेंगलुरु में गुरुवार को स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में आधे घंटे उड़ान भरी। राजनाथ तेजस एयरक्राफ्ट में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री बन गए हैं। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु के एचएएल हवाईअड्डे से स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरना अद्भुत और शानदार अनुभव था। दक्षिण पूर्व एशिया के देशों ने तेजस विमान खरीदने में रुचि दिखाई है। हम इस लेवल पर पहुंच गए हैं कि दुनियाभर में तेजस का निर्यात कर सकें।

कैप्टन नर्मदेश्वर तिवारी ने बताया, ‘‘वे (राजनाथ) फ्लाइंग क्वालिटी और स्मूथनेस को लेकर काफी संतुष्ट रहे। जब विमान मैक-1 (ध्वनि की गति 332 मीटर प्रति सेकंड) स्पीड पर पहुंचा तो मैंने इस बात की जानकारी उन्हें दी।’’ डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने कहा कि रक्षा मंत्री ने कुछ देर तेजस संभाला। राजनाथ ने कहा- जैसे-जैसे कैप्टन नर्मदेश्वर तिवारी बताते रहे, वैसा-वैसा करता चला गया।

जंग के लिए तैयार है तेजस

वायुसेना ने दिसंबर 2017 में एचएएल को 83 तेजस जेट बनाने का जिम्मा सौंपा था। इसकी अनुमानित लागत 50 हजार करोड़ रुपए थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (डीआरडीओ) ने इसी साल 21 फरवरी को बेंगलुरु में हुए एयरो शो में इसे फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस जारी किया था। इसका आशय यह है कि तेजस युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है।

तेजस ने हाल ही में एक बड़ा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया
तेजस ने पिछले हफ्ते नौसेना में शामिल होने के लिए एक बड़ा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था। डीआरडीओ और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के अधिकारियों ने गोवा की तटीय टेस्ट फैसिलिटी में तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग कराई थी। तेजस यह मुकाम पाने वाला देश का पहला एयरक्राफ्ट बन गया है। लड़ाकू विमान को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने डिजाइन और विकसित किया है। तेजस भारतीय वायुसेना की 45वीं स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग ड्रैगर्स’ का हिस्सा है।

क्या है अरेस्टेड लैंडिंग? 
नौसेना में शामिल किए जाने विमानों के लिए दो चीजें सबसे जरूरी होती हैं। इनमें एक है उनका हल्कापन और दूसरा अरेस्टेड लैंडिंग। कई मौकों पर नेवी के विमानों को युद्धपोत पर लैंड करना होता है। चूंकि, युद्धपोत एक निश्चित भार ही उठा सकता है, इसलिए विमानों का हल्का होना जरूरी है। इसके अलावा आमतौर पर युद्धपोत पर बने रनवे की लंबाई निश्चित होती है। ऐसे में फाइटर प्लेन्स को लैंडिंग के दौरान रफ्तार कम करते हुए, छोटे रनवे में जल्दी रुकना पड़ता है। यहां पर फाइटर प्लेन्स को रोकने में अरेस्टेड लैंडिंग काम आती है।

पांच देशों के एयरक्राफ्ट में ही यह तकनीक मौजूद 
इससे पहले अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन द्वारा निर्मित कुछ विमानों में ही अरेस्टेड लैंडिंग की तकनीक रही है। तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग सफल होने के साथ ही विमान को नेवी में शामिल किए जाने का एक चरण पूरा हो गया है। पायलट्स को अब असल ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर- आईएनएस विक्रमादित्य पर लैंडिंग करके दिखाना होगा।