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जहां हैं वहां हालत खस्ता, मध्य प्रदेश के जिलों के सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस नहीं

भोपाल/इंदौर. दमोह कलेक्टर डॉ. श्रीनिवास शर्मा की मां शांतिदेवी शर्मा ने समय पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण दम तोड़ दिया। यह घटना प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बदहाल एंबुलेंस सुविधा की सच्चाई उजागर करती है। लगता है एंबुलेंस खुद आईसीयू में है और उसे इलाज की जरूरत है।
दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि प्रदेश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में या तो एंबुलेंस नहीं हैं और जहां हैं वहां उनकी हालत खस्ता है। इनमें वेंटीलेटर तो दूर की बात, ऑक्सीजन सिलेंडर और ड्रिप स्टैंड तक की सुविधा नहीं है।
विदिशा : पांच साल से खराब है एंबुलेंस, प्रसूता की मौत
सिरोंज अस्पताल में दो सरकारी एंबुलेंस हैं। एक पिछले पांच साल तो दूसरी पांच महीने से खराब। गंभीर मरीजों को 108 एंबुलेंस और गर्भवती महिलाओं को जननी एक्सप्रेस से विदिशा व भोपाल रेफर करना पड़ता है। बीएमओ डॉ. विजयलक्ष्मी का कहना है कि नई एंबुलेंस के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
होशंगाबाद : अस्पताल 16, एंबुलेंस एक भी नहीं
होशंगाबाद जिले के 16 सरकारी अस्पतालों में एक भी एंबुलेंस नहीं है। मरीज को प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा है। 30 मार्च को पलिया पिपलिया की प्रसूता संगीता कहार का बनखेड़ी अस्पताल में प्रसव हुआ। वहां से रेफर किया। रास्ते में ही मौत हो गई।
देवास : ड्राइवर को वेतन चालू
देवास जिले के चार ब्लॉक कन्नौद, खातेगांव, बागली और टोंकखुर्द में एंबुलेंस खराब खड़ी हैं। उनका उपयोग मरीजों के लिए नहीं हो पा रहा है। मजे की बात यह है कि सोनकच्छ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पांच साल से एंबुलेंस पूरी तरह खराब है, इसके बावजूद इसके ड्राइवर को हर माह वेतन दिया जा रहा है। कन्नौद के बीएमओ राजेंद्र गुजराती ने बताया कि नई एंबुलेंस के लिए विभाग को पत्र लिखा है।
दतिया : स्वास्थ्य मंत्री का जिला
स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के गृह जिले दतिया में सिविल अस्पताल सेंवढ़ा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इंदरगढ़ व भांडेर के पास वर्षों पुरानी एंबुलेंस हैं। एक में भी वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है। जिला अस्पताल में दो एंबुलेंस हैं। इनमें से एक चालू है, दूसरी कंडम है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बसई सहित सभी 11 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंबुलेंस नहीं हैं।
रायसेन : 15 साल पुरानी 7 एंबुलेंस
15 साल पुरानी 7 एंबुलेंस हैं। जिला मुख्यालय में तीन में से एक एंबुलेंस खटारा हालत में अस्पताल परिसर में खड़ी है। सीएमएचओ डॉ. शशि ठाकुर कहती हैं कि एंबुलेंस के लिए राशि देने की मांग की गई है।
खंडवा : तीन में से दो खटारा
जिला अस्पताल में 3 एंबुलेंस हैं। दो खटारा हो चुकी हैं। एक डॉक्टरों के लिए तो दूसरी वीआईपी के लिए रिजर्व रहती है। इनमें लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम, वेंटीलेटर, डिलीवरी किट जैसी महत्वपूर्ण सविधा नहीं है।
मंदसौर : दोनों एंबुलेंस कंडम
मंदसौर जिले में सिर्फ दो सरकारी एंबुलेंस हैं, दोनों ही कंडम। गंभीर मरीज उदयपुर, अहमदाबाद या इंदौर रैफर किए जाते हैं। वेंटीलेटर वाली एंबुलेंस चाहिए तो इंदौर अथवा उदयपुर से बुलवाना पड़ती है। मलहारगढ़ में सात साल पुरानी एंबुलेंस है, जिसके ज्यादातर उपकरण खराब हैं। धुंधड़काम को 2008 में एंबुलेंस मिली, तब से इस्तेमाल ही नहीं हुई।
बुरहानपुर : छह में से चार बंद
जिले में 6 एंबुलेंस हैं, जिनमें से 4 बंद। दो में ऑक्सीजन सिलेंडर के अलावा कोई सुविधा नहीं है। ये 19 साल पुरानी हैं। नेपानगर और खकनार स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस ही नहीं हैं।