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चीन ने कहा- भारत के साथ रिलेशन खराब करने के लिए फॉरेन मीडिया जिम्मेदार

नई दिल्ली. चीन ने कहा है कि भारत के साथ रिलेशन खराब करने के लिए फॉरेन मीडिया और ऑफिशियल्स जिम्मेदार हैं। ये बातें चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के आर्टिकल में लिखी हैं। बता दें कि पिछले महीने काफी कोशिश के बावजूद भारत को न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में मेंबरशिप नहीं मिली थी। इसके लिए भारत ने चीन को उसका नाम लिए बगैर जिम्मेदार बताया था। वहीं चीन ने भारत की समुद्री सीमा के करीब हिंद महासागर में सबमरीन के आने-जाने को वैलिड बताया है। ग्लोबल टाइम्स ने और क्या लिखा…
– आर्टिकल के मुताबिक, ‘चीन पर ये आरोप लगाए जाते हैं कि साउथ चाइना सी पर कब्जा करने का मकसद हिंद महासागर पर नजर रखना है। जबकि इसे कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता।’
– ‘फॉरेन मीडिया भारत-चीन के बीच बॉर्डर डिस्प्यूट, डिफेंस रिलेशन को जरूरत से ज्यादा तवज्जो देने की कोशिश करता है। वहीं दोनों देशों के बीच इकोनॉमिक कोऑपरेशन और अन्य कई अचीवमेंट्स को दरकिनार किया जाता है।’
– ‘B&R’ टाइटल से लिखे आर्टिकल में ये भी कहा गया है कि भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड (B&R) इनीशिएटिव को पूरा सपोर्ट दिया है।
– बता दें कि ‘वन बेल्ट एंड वन रोड’ को सिल्क रूट भी कहा जाता है। इस प्लान में रोड और कॉरिडोर्स बनाए जाने हैं जो चीन को एशिया और यूरोप से जोड़ेंगे।
मोदी पर लगाया था आरोप
– ग्लोबल टाइम्स ने नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि चीन को लेकर उनका रवैया पॉजिटिव नहीं है और वे योजनाओं में देर करते हैं।
– ग्लोबल टाइम्स ने सोमवार को लिखा था, ‘भारतीय रणनीतिकार और सरकार मानते हैं कि सिल्क रूट के लिए चीन ने जियोस्ट्रैटिजिक डिजाइन बनाया है।’
– ‘इसको लेकर भारत विरोध कर रहा है।’
– ‘लेकिन हमारा मानना है कि ‘बेल्ट एंड रोड’ प्लेटफॉर्म दोनों देशों के रिलेशन बेहतर करने के प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करेगा।’
– बता दें कि भारत ने चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को भी सिक्युरिटी के लिए खतरा बताया था।
– वहीं चीन का कहना था कि CPEC, बेल्ट एंड रोड (सिल्क रोड) का ही हिस्सा है।
एडिटोरियल में क्या लिखा?
– एडिटोरियल के मुताबिक, “अगर भारत को इंटरनेशनल लेवल पर सपोर्ट चाहिए था तो उसे अपना पक्ष और मजबूती से रखना था। लेकिन इसके बजाए वह चीन को बदनाम करने में लगा रहा।”
– “भारत के लोग पिछले महीने सिओल में हुई एनएसजी मेंबरशिप के फैसले के सच को मान नहीं पा रहे हैं।”
– “भारतीय मीडिया मेंबरशिप न मिल पाने को लेकर अकेले चीन पर आरोप लगा रहा है। हमें भारत विरोधी और पाकिस्तान सपोर्टर बताया जा रहा है।”
– “एनएसजी मेंबरशिप पाने के लिए किसी भी देश को न्यूक्लियर प्रोलिफरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि-NPT) पर साइन करने की जरूरत है और भारत ने इस पर साइन नहीं किए हैं।”
– “इसके अलावा, भारत को मेंबरशिप मिलने का एक और रास्ता रह जाता है कि पूरे 48 देश उसका सपोर्ट करें। लेकिन हमारे अलावा भी कई देश उसका विरोध कर रहे हैं।”
1962 की जंग का दिया हवाला
– एडिटोरियल में 1962 की भारत-चीन जंग का भी हवाला दिया गया है।
– इसके मुताबिक, “भारत अभी भी जंग की परछाईं में जी रहा है। भारत को लगता है कि चीन उसे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहता।”
– “हमें लगता है कि भारत, चीन को समझने में भूल कर रहा है। इसका असर उसके स्ट्रैटजिक रिलेशन पर पड़ता है।”
दोनों के बीच बेहतर रिश्ते जरूरी
– एडिटोरियल में ये भी कहा गया है, “चीन भारत के साथ के बगैर आगे बढ़ने की बात नहीं सोचता।”
– “आपसी समझ से दोनों देश एशिया में नया इतिहास रच सकते हैं।”
– “भारत का तेजी से होता डेवलपमेंट चीन से बेहतर रिश्ते में अहम रोल निभा सकता है।”
हिंद महासागर में बढ़ी चाइना की फ्रीक्वेंसी
– हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी पर भारत के विरोध को खारिज करने वाले कर्नल योंग यूजुंग चीन की मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के स्पोक्सपर्सन भी हैं।
– योंग का कहना है कि सब मरीन और शिप को डिप्लॉइड किया जाना यह सी पाइरेट्स को कंट्रोल में रखने के लिए उठाए जाने वाले स्टेप का हिस्सा है।
– शंघाई नेवल गैरीसन के चीफ ऑफ स्टाफ वेई शियानदोंग ने कहा कि चीन की सबमरीन ऐसे ही ऑपरेशन में हिस्सा ले रही हैं।
– भारत को घेरने के लिए चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ पॉलिसी को खारिज करते हुए योंग ने यह भी दावा किया कि इसमें चिंता वाली कोई बात नहीं है।
– वेई ने कहा कि फ्यूचर में चीन और भारत की नेवी आपसी सहयोग, ट्रैवलिंग, रेस्कयु ऑपरेशन और समुद्री खोज को अंजाम देंगी।
– इससे दोनों देशों के बीच अधिक करीबी रिश्ते बनेंगे।