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चीनी मिलों

चीनी मिलों में शीरे के संरक्षण के लिए एनएसआई बनाएगा एंजाइम;

कानपुर। चीनी मिलों में शीरे के संरक्षण के लिए एंजाइम विकसित करने के लिए राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) और हैदराबाद स्थित मेसर्स सुजालकेम टेक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड के बीच सोमवार को करार हुआ है। एंजाइम तैयार होने से शीरे के भंडारण के दौरान होने वाले चीनी के नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी और ज्यादा मात्रा में इथेनाल मिल सकेगा।

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संस्थान के निदेशक नरेंद्र मोहन ने बताया कि सरकार आने वाले वर्षों में पेट्रोल में 20 फीसद इथेनाल ब्लेंङ्क्षडग की दिशा में कार्य कर रही है। इसके लिए चीनी मिलों से निकलने वाले शीरे के विभिन्न स्टाक को चिह्नित किया जा रहा है, जिसमें बी हैवी शीरा भी शामिल है। पारंपरिक शीरे की तुलना में मिलों से प्राप्त बी हैवी शीरे में चीनी की मात्रा अधिक होती है। पारंपरिक शीरे के एक टन से जहां 225-235 लीटर इथेनाल मिलता है तो बी हैवी शीरे से 300 से 400 लीटर तक होता है। बी शीरे में चीनी अधिक होने के कारण उसे टैंक में रखने पर बैक्टीरिया व अन्य रासायनिक प्रक्रियाएं भी होती हैं।

इससे चीनी की हानि होती है और इथेनाल उत्पादन पर असर पड़ता है। चीनी की इसी हानि को रोकने के लिए एंजाइम व बायोसाइड की जरूरत होती है। हैदराबाद की कंपनी से इन्हीं एंजाइम को विकसित करने के लिए करार हुआ है। शुगर टेक्नोलाजी के असिस्टेंट प्रोफेसर अशोक गर्ग ने बताया कि कंपनी एंजाइम विकसित करके संस्थान के शुगर टेक्नोलाजी अनुभाग की प्रयोगशाला में एक वर्ष तक परीक्षण करेगी। संस्थान में छोटे स्टील टैंकों का निर्माण कराया गया है, जैसे चीनी मिलों में होते हैं। कंपनी के रीजनल मार्केङ्क्षटग हेड ईश्वर गोरेवारा ने बताया कि इस शोध के लिए कंपनी रिसर्च फेलोशिप भी देगी।