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गूगल और एप्पल का वैश्विक मानचित्र से फिलिस्तीन को हटाना अमेरिका एवं इजराइल को खुश करने के लिये है: मौलाना कलबे जवाव्द

लखनऊ। मजलिसे उलेमाए हिंद के सभी सदस्यों ने गूगल और एप्पल के इजराइल और अमेरिका की चापलूसी में फिलिस्तीन को वैश्विक मानचित्र से हटाने के फेसले की कडी निंदा की और कहा कि यह कदम फिलिस्तीन की जनता के मौलिक अधिकारों पर हमला और अमेरिका एवं इजराईल को खुश करने के लिये उठाया गया है। मजलिसे उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कलबे जवाद नकवी ने गूगल और एप्पल के इस पक्षपाती और जालिमाना रव्वैये की कड़ी निंदा की और कहा कि इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि गूगल और एप्पल जैसी कंपनियां भी अमेरिका और इजरायल को खुश करने के लिये एसे निंदनीय कदम उठाती हैं। फिलिस्तीन को दुनिया के नक्शे से हटाना उसकी जनता के मूल अधिकारों और स्वतंत्रता पर हमला है। मौलाना ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प डील ऑफ दि सेंचुरी योजना को लागू करने के लिए इजरायल के साथ मिल कर काम कर रहें है, और एसे निंदनीय प्रयासों में लगे हुए हैं। लेकिन फिलिस्तीनी जनता के प्रतिरोध और ईरान जैसे देशों के हस्तक्षेप ने इस योजना को विफल कर दिया है।

]गूगल और ऐप्पल का यह प्रयास डील-ऑफ-द-सेंचुरी योजना का हिस्सा है जिसकी व्यापक रूप से निंदा की जानी चाहिए। मौलाना ने कहा कि इस्लामी दुनिया की चुप्पी और मुनाफिकाना रव्वैया फिलिस्तीन की स्वतंत्रता और मूल अधिकारों की प्राप्ती में बड़ी बाधा है। मुसलमानों को सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों की हकीकत को समझना चाहिए और फिलिस्तीन की मजलूम जनता का समर्थन करने के लिए सऊदी अरब जेसे देशों का पूरी तरह से बहिष्कार करना चाहिए। इजराइल फिलिस्तीनी भूमि पर पूर्ण कब्जा चाहता है जिसके लिए संयुक्त राज्य अमेरिका उसका पूरी तरह से समर्थन कर रहा है। इसलिए, आम मुसलमानों को इसके लिए वैश्विक मीडिया में लामबंद होना चाहिए और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र को अधिक से अधिक पत्र लिखना चाहिएं ताकि संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल की योजना विफल हो।