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‘गुमनाम नायकों’ को याद करेगी सरकार, कई नामों पर उठे सवाल

नई दिल्ली. 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सरकार आजादी के गुमनाम नायकों (Unsung Heroes) को याद करने की योजना बना रही है. खबर है कि इसमें कुछ छोटे समूह और संघर्ष से जुड़ी कुछ घटनाओं को भी प्रदर्शित किया जाएगा. इस बात की जानकारी सरकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को दी है. हालांकि, कुछ इतिहासकारों और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुने हुए नामों पर सवाल उठाए हैं. साथ ही इनमें सुधार की मांग की है.

, सरकार ने 146 नामों की सूची तैयार की है और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के बैनर तले 75 क्षेत्रीय, 6 राष्ट्रीय और 2 अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की योजना बनाई है. ये नाम सरकारी विभागों और इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च की तरफ से अलग-अलग तैयार किए गए हैं.

146 नामों को उनके राज्य के आधार पर बांटा गया है, जिसमें कुछ छोटी जनजातियां और जातियां भी शामिल हैं. सूची में घेलूभाई नाइक, मोहनलाल लल्लूभाई दांतवाला, नानाजी देशमुख और वामपंथी नेता रवि नारायण रेड्डी का नाम शामिल है. ओडिशा से लक्ष्मण नायक, झारखंड से तेलंगा खारिया और तेलंगाना से कोमराम भीम समेत कई जनजातीय नेताओं का नाम सूची में है. समूहों की सूची में हिंदु महासभा, आंध्र प्रदेश लाइब्रेरी एसोसिएशन, कर्नाटक साहित्य परिषद और बंगाल की अनुशीलन समिति के अलावा कई नाम शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि सूची में आंध्र के कवि गरिमेला सत्यनारायण, गुजरात के वकील भुलाभाई देसाई, महाराष्ट्र से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सेनापति बापट, पंजाब से कैप्टन मोहम्मद अकरम, हरियाणा से राव तुला राम और दिल्ली से मिर्जा मुगल समेत कई नाम हैं.
कुछ इतिहासकारों ने सूची में सुभाष चंद्र बोस, बिरसा मुंडा और तात्या टोपे के नाम शामिल किए जाने की आलोचना की है. इसमें जन संघ की विचारधारा वाले नानाजी देशमुख और हिंदू महासभा का नाम भी शामिल है. इतिहासकार मृदुला मुखर्जी ने कहा, ‘हम सुभास चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद और बिरसा मुंडा को गुमान नायक नहीं कह सकते. उन्होंने तात्या टोपे, नानाजी देशमुख, रवि नारायण रेड्डी को भी सूची में शामिल किया है. इस सूची में कुछ ऐसे नाम भी हैं, जो 1930 के समय पैदा हुए और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहे गए. यह असमान सूची है.’
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और इतिहासकार सुचेता महाजन ने कहा कि कुछ राज्यों के कुछ नाम ऐसे लोगों के थे, जो वाकई ‘कम ज्ञात’ थे, लेकिन बोस जैसे कुछ नाम लोकप्रिय शख्सियतों में शामिल थे. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘मजे की बात यह है कि जिन लोगों का स्वतंत्रता आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है और लगातार महात्मा गांधी और उनके लेफ्टिनेंट्स पर हमला करते रहे हैं, वे आज आजादी के अमृत महोत्सव की महिमा का मजा उठा रहे हैं.’

इधर, भारतीय जनता पार्टी के सांसद विनय सहास्त्रबुद्धे ने कहा, ‘अगर आपने उनके साथ न्याय नहीं किया, तो ऐसा समय आना चाहिए जब न्याय हो. सुभाष चंद्र बोस हों या कोई और उन्हें वह श्रेय नहीं मिला, जिसके वे हकदार हैं.’ ICHR निदेशक (शोध और प्रशासन) ओम जी उपाध्याय ने कहा, ‘शिक्षण में सभी के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन हम इसे लेकर एकदम स्पष्ट हैं कि गुमनाम का मतलब उन नायकों से हैं, जिन्हें आजादी के संघर्ष में उनके योगदान के बावजूद मुख्यधारा के इतिहास में सही जगह नहीं मिल सकी.’