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खूंखार अपराधियों पर रहमदिल रही है एमपी पुलिस

बांदा। एमपी पुलिस की रहमदिली है या कुछ और कि यूपी में बड़े अपराधों को अंजाम देने वाले खूंखार अपराधियों की अक्सर जान बख्श देती है। इसकी कई बानगी है। जिन बदमाशों को यूपी पुलिस गोली से उड़ाने की फिराक में रहती है, उन्हें एमपी पुलिस थाने में ससम्मान सरेंडर का मौका देती है। ददुआ, ठोकिया और पप्पू यादव इत्यादि यूपी के खूंखार गिरोहों के बदमाशों का एमपी में सरेंडर इसका उदाहरण है। आठ पुलिसकर्मियों की सामूहिक हत्या के आरोपी विकास दुबे के साथ भी यही हुआ। उज्जैन में उसे दो कांस्टेबलों ने बड़ी आसानी से पकड़कर मात्र एक थप्पड़ जड़ा। हालांकि एक दिन बाद ही यूपी पुलिस ने विकास दुबे के सीने में कई गोलियां उतारकर उसका खात्मा कर दिया। एमपी पुलिस की यूपी के अपराधियों पर दरियादिली के किस्से पुराने हैं। एक दशक पूर्व फरवरी 2008 में उस जमाने में यूपी के सबसे कुख्यात इनामी दस्यु सरगना ददुआ गिरोह के हार्डकोर सदस्य राधे उर्फ सूबेदार कुर्मी, रोहिणी उर्फ तहसीलदार कुर्मी, भुंडा उर्फ गोटर, राजू कोल व भास्कर ने सतना (एमपी) जिले के मझगवां थाना क्षेत्र में सशस्त्र आत्मसमर्पण किया था।

वहां समर्थकों ने इनका फूलों की माला डालकर स्वागत सत्कार किया था। यह देखकर तत्कालीन डीआईजी ने नाराजगी भी जताई थी। बाद में यूपी पुलिस ने सभी बदमाशों को अपने कब्जे में लिया। ये अभी भी चित्रकूट जेल में हैं। ऐतिहासिक कालिंजर दुर्ग में आठ निर्दोष लोगों की सामूहिक हत्या के आरोपी दस्यु सरगना पप्पू यादव को भी एमपी पुलिस ने सतना जिले में गिरोह के छह बदमाशों के साथ मुठभेड़ के नाम पर हाजिर होने का पूरा मौका दिया। बाद में पप्पू सहित गिरोह के यह बदमाश यूपी (बांदा) पुलिस के हवाले कर दिए गए। इसी तरह वर्ष 2011 में पांच लाख के इनामी डकैत ज्ञान सिंह ने भी सतना (एमपी) में सरेंडर किया था। एमपी पुलिस की यह अजीबोगरीब कार्य प्रणाली एक बार फिर ताजा हो गई है। कानपुर में सीओ और थानाध्यक्ष सहित आठ पुलिस कर्मियों की सामूहिक हत्या के आरोपी विकास दुबे को मध्य प्रदेश में ही सुरक्षित पनाह मिली। बड़ी आसानी से वह उज्जैन के महाकाल मंदिर में अप्रत्याशित ढंग से पुलिस के हत्थे जा लगा। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो इसके गवाह हैं कि इतने बड़े संगीन आरोपी को एमपी पुलिस ने कितना हल्के से लिया। दो कांस्टेबल ही उसे पकड़कर वाहन में बैठाते दिखे। अलबत्ता चल रहे कैमरों में दिखाने के लिए एक सिपाही ने विकास को सिर्फ एक थप्पड़ जड़ दिया। एमपी पुलिस ने जहां अपनी परंपरा बरकरार रखी तो यूपी पुलिस ने भी अपनी रिवायत कायम रखते हुए विकास दुबे को अपने कब्जे में आते ही ठिकाने लगा दिया। यूपी पुलिस की दलील है कि उज्जैन से कानपुर लाते समय वाहन पलट जाने से मची अफरा-तफरी में विकास भाग रहा था। तभी पुलिस की फायरिंग में मारा गया।