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क्या कहता है कानून? राष्ट्रगान के दौरान जरूरी है खड़े होना,

सिनेमाघर में राष्ट्रगान के दौरान खड़े ना होने पर एक शख्स को सिनेमाघर से बाहर निकाल दिया गया। इसका वीडियो वायरल होने के बाद इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि क्या राष्ट्रगान के दौरान खड़ा ना होना उसका अपमान है। आइए हम आपको बताते हैं कि राष्ट्रगान को लेकर क्या है सरकारी आचार संहिता और क्या कहता है कानून
क्या कहता है कानून — राष्ट्रीय असम्मान निरोधक कानून 1971 की धारा-3 के मुताबिक कोई शख्स जो राष्ट्रगान को जानबूझकर गाने से रोकता है या किसी समूह को जो राष्ट्रगान गा रहा हो, उसमें जानबूझकर व्यवधान करता है, ऐसे शख्स को तीन साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।
क्या कानून के मुताबिक राष्ट्रगान के समय खड़ा होना जरूरी है?– राष्ट्रगान के समय बैठे रहने या खड़े होने के बारे में कानून कुछ भी नहीं कहता है।
इस बारे में क्या है सरकार की राय?
5 जनवरी 2015 को सरकार ने इस बारे में जो सामान्य प्रावधान बताए हैं उसके मुताबिक जब भी राष्ट्रगान गाया जा रहा हो या किसी समूह की मौजूदगी में उसे बजाया जा रहा हो तो वहां मौजूद लोगों को उसके सम्मान में सावधान की मु्द्रा में खड़ा होना चाहिए। जब राष्ट्रगान किसी न्यूजरील या डॉक्यूमेंट्री में फिल्म के तौर पर दिखाया जा रहा हो तो खड़ा होना जरूरी नहीं है क्योंकि ऐसा करने से अफरातफरी या बेवजह का व्यवधान हो सकता है। सरकारी नियम के मुताबिक राष्ट्रगान जब गाया जा रहा हो या बजाया जा रहा हो तभी खड़ा होना जरूरी है लेकिन इस प्रावधान में इसका उल्लंघन करने पर सजा का उल्लेख नहीं है इसलिए इस बारे में राष्ट्रीय असम्मान निरोधक कानून को ही आधार माना जाएगा। सिनेमोटोग्राफी नियम 1983 के मुताबिक 35 एमएम की लंबाई वाली दो हजार मीटर से ज्यादा लंबी किसी काल्पनिक फिल्म या वीडियो को फीचर फिल्म की श्रेणी में रखा जाता है। इसलिए सरकार के नियमों के मुताबिक कोई फीचर फिल्म इन नियमों के दायरे में नहीं आती।
क्या इस बारे सु्प्रीम कोर्ट की कोई रूलिंग है?
1987 में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने केरल के एक स्कूल को उन दो बच्चों को वापस स्कूल में दाखिला देने का आदेश दिया था जिन्हें राष्ट्रगान ना गाने की वजह से निकाल दिया गया था। हालांकि इस दौरान दोनों बच्चे खड़े रहे थे। बच्चों ने ऐसा इस आधार पर किया था क्योंकि उनका धर्म उन्हें उनके ईश्वर की प्रार्थना के अलावा इस तरह की किसी और परंपरा की इजाजत नहीं देता।
मद्रास हाईकोर्ट ने क्या कहा?
मदुरई के एक वकील आर पांडी महाराज ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर राज्य के सिनेमाघर मालिकों को फिल्म दिखाने से पहले राष्ट्रगान दिखाने से रोकने को कहा। उनका कहना था कि राष्ट्रगान के दौरान कुछ लोग ही खड़े होते हैं और ज्यादातर बैठे रहते हैं। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि सरकार के प्रावधानों के मुताबिक सिनेमाघर मालिकों को राष्ट्रगान बजाने से नहीं रोका जा सकता।
आखिर में क्या माना जाए
अब तक कोर्ट का फैसला या कोई कानून या कोई प्रशासनिक आदेश राष्ट्रगान के दौरान किसी को खड़े होने के लिए बाध्य नहीं करता। राष्ट्रगान के दौरान खड़ा होना महज उसके प्रति उस शख्स के व्यक्तिगत सम्मान को प्रकट करता है।