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कुशीनगर में दिग्गजों ने बचा ली अपनी-अपनी सीट 

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में चुनाव तो ब्लॉक प्रमुख का चल रहा था लेकिन नतीजे अगले साल के विधानसभा चुनाव पर भी असर डालने वाले हैं। इसीलिए सभी विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में अपनी पसंद के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर जीत दिलाने में लगे थे। कई माननीय भी अपने पुत्रों को राजनीति में स्थापित करने के प्रयास में थे और सभी को सफलता हाथ लगी।
जिले में 14 ब्लॉक हैं जिनमें से 12 के प्रमुख भाजपा के जीते हैं। इनमें कप्तानगंज में पूर्व विधायक व मुख्यमंत्री के करीबी अतुल सिंह के पुत्र विशाल सिंह निर्विरोध विजयी हुए हैं। नेेबुआ नौरंगिया में विधायक जटाशंकर त्रिपाठी ने जिस उम्मीदवार पर दांव लगाया था, उसे न केवल पार्टी ने टिकट दिया बल्कि अंतिम वक्त में यह सीट भी भाजपा निर्विरोध जीत गई। जिन छह सीटों पर चुनाव हुए वहां कड़ी लड़ाई थी। खड्डा में सांसद विजय कुमार दुबे के पुत्र शशांक दुबे उम्मीदवार थे लिहाजा यहां उम्मीदवार से ज्यादे सांसद की प्रतिष्ठा दांव पर थी। माना जा रहा था कि सपा यहां कड़ा टक्कर देगी लेकिन नतीजे एकतरफा आए।
प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को केवल छह वोट ही मिल सका। विशुनपुरा ब्लॉक में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विंध्यवासिनी श्रीवास्तव प्रदेश के श्रम मंत्री व पडरौना सदर के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्या के बेहद खास हैं। लिहाजा इस सीट को मंत्री की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा था। यह सीट भी भाजपा जीत गई। मौर्या के ही करीब और पडरौना से एक बार खुद और एक बार अपने करीबी को ब्लॉक प्रमुख बना चुके आशुतोष सिंह बहुगुणा ने भी 131 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज किया।
कसया में पूर्व मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी ने भाजपा के चक्रव्यूह को तोड़ते हुए अपने उम्मीदवार को सात मतों के अंतर से जीत दिला दी जबकि यहां कुल 39 बीडीसी सदस्य ही थे। यही हाल रामकोला में भी रहा। यहां सपा के पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह के पुत्र ने भाजपा उम्मीदवार को हरा दिया। यहां भी पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर थी। दुदही में तो भाजपा ने शुक्रवार की रात में ही उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया और शनिवार को जीत उसकी झोली में आ गई। माना जा रहा है कि यहां फाजिलनगर विधायक गंगा सिंह कुशवाहा की रणनीति सफल रही।