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कांग्रेस का मंथन शिविर मिशन उत्तराखंड चुनाव 2022

देहरादून. अगले साल के शुरू में ही उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके मद्देनज़र कांग्रेस में भारी तब्दीलियों के बाद अब तेज़ी से सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है, जिसका नतीजा है तीन दिवसीय मंंथन. कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद गणेश गोदियाल पहली बार किसी अहम बैठक का नेतृत्व करेंगे, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत पार्टी के बड़े नेता शामिल रहेंगे. इस मंथन शिविर का सीधा निशाना विधानसभा चुनाव 2022 होगा और पार्टी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भाजपा के खिलाफ मैदान में उतरने के लिए रणनीति तैयार करेगी. जानिए कांग्रेस पार्टी किस तरह चुनावी मंथन करने जा रही है.

जानकारी के मुताबिक ऋषिकेश में 5 अगस्त तक कांग्रेस का मंथन शिविर चलने वाला है, जिसमें गोदियाल के साथ ही कांग्रेस की चुनाव कमेटी के प्रमुख बनाए गए हरीश रावत, राज्य में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के अलावा प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव जैसे बड़े नेता शामिल रहेंगे. इस शिविर में चुनाव को लेकर विधायकों, पूर्व विधायकों, प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों, ज़िला कमेटियों के स्तर के कार्यकर्ताओं तक को शामिल किया जाएगा और उनसे सुझाव व रायशुमारी की जाएगी. लेकिन किस तरह?

कांग्रेस के इस मंथन शिविर का मुख्य लक्ष्य है चुनाव के लिए घोषणापत्र और चुनावी अभियान के मुख्य मुद्दे तय करना. इसके लिए तमाम कार्यकर्ताओं व नेताओं से मुद्दों, अभियानों, सभाओं, यात्राओं आदि के बारे में सुझाव लिये जाएंगे. तीन दिनों की इस बैठक के दौरान चुनाव का रोडमैप तैयार करने के लिए जनता से जुड़े खास मुद्दों, भाजपा की नाकामियों पर उसे घेरने की रणनीति तय करने और चुनावी प्रचार का एक विस्तृत खाका बनाने जैसे बिंदुओं को प्रमुखता दी जाएगी. मंथन में किस दिन क्या होगा?

चुनावों के लिहाज़ से विचार करने के लिए हो रही इस बैठक के पहले दिन यानी आज मंगलवार को पार्टी सभी कमेटियों से फीडबैक लेकर जल्द ही कार्ययोजना भी मांगेगी. दूसरे दिन 4 अगस्त को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के साथ ही ज़िला कांग्रेस कमेटियों के पदाधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया जाएगा. आखिरी दिन 5 अगस्त को प्रदेश की कोर कमेटी के सदस्य गहन चिंतन करेंगे और फाइनल रणनीति का खाका तैयार किया जाएगा. इस पूरी कवायद में ध्यान रखने के पॉइंट्स क्या होंगे?

कांग्रेस को इस बात का पूरा पता है कि केवल भाजपा सरकार की नाकामियां चुनाव में जीत का दांव नहीं बन सकतीं. कांग्रेस को अपने घोषणापत्र को लेकर बेहतर सामंजस्य और जनता की नब्ज़ को पकड़ना होगा. इसके लिए बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता के सुझाव लेने के लिए कांग्रेस पूरी मशक्कत करना चाहती है. वहीं, नुक्कड़ बैठकों और गहन जनसंपर्क तक के लिए चर्चा होनी है.