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कश्मीर में बातचीत के लिए रिप्रेजेंटेटिव बनने पर शर्मा ने कहा : यह बड़ी जिम्मेदारी है !

नई दिल्ली.केंद्र सरकार ने सोमवार को कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत के लिए पूर्व IB डायरेक्टर दिनेश्वर शर्मा (61) को अप्वाइंट किया है। इस फैसले के कुछ घंटे के बाद ही शर्मा ने होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इससे पहले उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में कहा- “यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मेरी सबसे बड़ी प्रॉयोरिटी घाटी में पीस प्रोसेस को बहाल करना है। बता दें कि शर्मा 1979 बैच के आईपीएस हैं। वे इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) चीफ रह चुके हैं। सरकार ने शर्मा को कैबिनेट सेक्रेटरी का दर्जा दिया है। और क्या कहा शर्मा ने…

– दिनेश्वर शर्मा ने कहा- “भारत सरकार ने मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है। मुझे विश्वास है कि मैं सरकार और इस देश की जनता की उम्मीदों को पूरा कर पाऊंगा। पूरी बातचीत इस बात पर निर्भर करेगी कि कश्मीर के लोग किस तरह से रिस्पांस करते हैं। मुझे उम्मीद है कि लोग इस बात को सकारात्मक रूप में लेंगे। मेरी सबसे बड़ी प्रॉयोरिटी घाटी में अमन चैन लाना है।”
– उन्होंने कहा- “मेरे लिए यह घर लौटने जैसा है। यह वक्त काफी मुश्किल है और मुझे उम्मीद है कि हम घाटी में मिलकर शांति ला पाएंगे।”
मैं 8-10 दिनों में कश्मीर जाऊंगा
– दिनेश्वर शर्मा ने कहा- “रैंक मैटर नहीं करता। सरकार ने मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी है। जम्मू-कश्मीर में हालात में सुधार हो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। मैं 8-10 दिनों में कश्मीर जाऊंगा। पहले देखूंगा की चीजों को आगे कैसे ले जाया जा सकता है। मेरी कोशिश जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने और परमानेंट समाधान खोजने की है।”
– “प्रधानमंत्री ने जो गोल तय किए हैं हमें उस ओर काम करना है। सभी के लिए मेरे दरवाजे खुले हैं।”

कौन हैं दिनेश्वर शर्मा?

– शर्मा 1979 बैच के आईपीएस हैं। वे इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) चीफ रह चुके हैं। फिलहाल, मणिपुर में अलगाववादी गुटों से बातचीत कर रहे हैं। इस बातचीत का एक दौर कल यानी मंगलवार को भी होना है।
– केरल कैडर के शर्मा की कश्मीर घाटी में पहली बार पोस्टिंग मई 1992 में हुई थी। वे इंटेलिजेंस ब्यूरो हेडक्वार्टर्स, नई दिल्ली से एक साल की ट्रेनिंग लेने के बाद यहां आए थे। उस वक्त शर्मा 36 साल के थे। वे घाटी में 1992 से 1994 तक असिस्टेंट डायरेक्टर रहे। बाद में 2014 से 2016 तक आईबी के चीफ रहे।
क्यों उन्हें चुना गया?
– राजनाथ सिंह ने बताया- “शर्मा घाटी के सभी पक्षों से बातचीत कर उनकी उम्मीदों को जानने की कोशिश करेंगे। वह जिससे चाहे बातचीत कर सकते हैं।”
– शर्मा को ही क्यों चुना गया के सवाल पर राजनाथ ने कहा- “वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए नहीं है। वह 1979 बैच के इंडियन पुलिस सर्विस के अफसर हैं। वे एक अनुभवी और काबिल हैं। वे जम्मू-कश्मीर मामलों के अच्छे जानकार भी हैं। इसके अलावा वह देश की इंटरनल सिक्युरिटी से जुड़ी परेशानियों से अच्छे से वाकिफ हैं।”
– महबूबा मुफ्ती ने कहा- “वह (दिनेश्वर) अच्छे इंसान हैं और उनकी विश्वसनीयता बहुत ज्यादा है। वह नॉर्थ-ईस्ट में अलगाववादी गुटों से हो रही भी बातचीत में शामिल हैं।”
फैसले का स्वागत किया महबूबा ने
– जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य में सभी पक्षों से बातचीत शुरू करने और इसके लिए रिप्रेजेंटेटिव अप्वाइंट करने का स्वागत किया। उन्होंने कहा- “बातचीत कर प्रॉब्लम का हल निकालने का यह सही वक्त है। हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। दरअसल यह आज की मांग है।”

NDA हो या UPA, केंद्र सरकार की तरफ से कितने साल बाद ऐसी पहल हुई है?

– शर्मा चौथे ऐसे रिप्रेजेंटेटिव हैं, जिन्हें केंद्र ने 2002 से कश्मीर में बातचीत के लिए अप्वाइंट किया है। इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री केसी पंत, एनएन वोहरा और फिर तीन सदस्यीय पैनल को यह जिम्मेदारी दी गई थी। इस पैनल में जर्नलिस्ट दिलीप पड़गांवकर, पूर्व इन्फॉर्मेशन कमिश्नर एमएम अंसारी और एकेडेमिशियन राधा कुमार शामिल थे।
– सात साल पहले (अक्टूबर, 2010) भी ऐसी कोशिश हुई थी। 2010 में घाटी में हिंसा भड़की थी। इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहकी यूपीए-2 सरकार ने पड़गांवकर, अंसारी और राधा कुमार को कश्मीर के लिए वार्ताकार बनाया।
– तीनों ने 22 जिलों में 600 डेलिगेशंस से मुलाकात की। तीन बार में राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस की। 2011 में इस कमेटी ने यूपीए-2 सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
– रिपोर्ट में इस कमेटी ने कहा कि कश्मीर में आर्मी की विजिबिलिटी कम होनी चाहिए। ह्यूमन राइट्स वाॅयलेशंस के मुद्दे पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट का रिव्यू करना चाहिए और डिस्टर्ब एरियाज एक्ट को हटा देना चाहिए।