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उप-चुनाव नतीजे खीचेगे 2022 के विधानसभा चुनाव का खाका

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों के उप-चुनाव के लिए मतदान आज हो गया। दस को नतीजे आ जाएंगे। उप-चुनाव के नतीजों की गूंज 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव तक में सुनाई दे सकती है। जिन सात सीटों पर चुनाव हैं उसमें से छह:सीटों पर भाजपा और एक पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। इस समय उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाते हुए ‘मिशन महिला शक्तिÓका आगाज करके कई अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। लव जेहाद को मुद्दा बनाकर इसे सख्ती से रोकने की बात कहकर अपने वोटरों को रिझाने में की कोशिश की हैं। उपचुनाव के नतीजों से सियासी दलों के प्रति मतदाताओं के रुख का पता चलेगा तो योगी सरकार के कामकाज का भी आकलन होगा। उपचुनाव में बीजेपी की साख दांव पर है क्योकि ज्यादातर सीटे बीजेपी की ही है। भाजपा-कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी के साथ-साथ कई छोटे दलों ने भी अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारे हैं। बीजेपी ने सभी सात सीटों के लिए अपने पुराने कार्यकर्ताओं और दो दिवंगत विधायको की पत्नियों को टिकट दिया है। सभी सीटों पर अलग-अलग समीकरण हैं। यह विधानसभा आम चुनाव की तस्वीर भी दिखा सकते है।पिछला विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन अब ऐसा नही है। बाहुबली भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने वाली योगी सरकार ने इसके जरिए भी वोटों का धुव्रीकरण करने की कोशिश की है लेकिन वोटरों ने क्या किया यह तो 10 को पता चलेगा। भाजपा की तरह समाजवादी पार्टी को भी उपचुनाव से काफी संभावनाए हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ा रहे है, जबकि 2017 का विधान सभा चुनाव वह कांग्रेस के साथ और 2019 के लोकसभा चुनाव बसपा के साथ मिलकर लड़े थे, लेकिन दोनों ही बार सपा के हाथ कुछ नहीं लगा था। इस बार सपा सियासी गोलाबंदी को और मजबूती देने में लगी है। सपा ने बुलंदशहर में रालोद को समर्थन दिया है उप-चुनाव बहुकोणीय है, जिसमें भाजपा,सपा कांग्रेस और बसपा सहित छोटे-छोटे दलों के भी प्रत्याशी मैदान में हैं। उपचुनाव की जो तस्वीर सामने है,उसके अनुसार अधिकांश सीटों पर सपा वह अन्य विपक्षी दलों का मुकाबला भाजपा से है। बुलंदशहर सीट पर बसपा नही है मैदान में। समाजवादी पार्टी ने उन्नाव की पूर्व सांसद कांग्रेस नेता अन्नू टंडन को अपने पाले में किया तो यह संकेत साफ हो गया की सपा के लिए कांग्रेस भी निशाने में है। अन्नू टंडन का कांग्रेस छोडऩा एक शुरूवात है। बसपा के भी कुछ नेता समाजवादी पार्टी में चले गए हैं,इससे आहत मायावती ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर सपा को हराने तक की बात कह दी है। उप-चुनाव बेहद महत्वपूर्ण हैं। सवाल है कि कौन सी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को टक्कर दे सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच भी मुस्लिम वोटों के लिए रस्साकशी दिखी। सपा का फोकस पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर अधिक है । मायावती समझ रही हैं कि जहां पर उनका मुस्लिम प्रत्याशी होगा, वहां पर मुस्लिम उसके साथ रहेगा , इसलिए वह भाजपा के साथ जानेे की बात कहने से गुरेज नहीं किया बांगरमऊ और घाटमपुर दोनों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस भी ट्क्कर में है।