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आंगनबाडिय़ों की जान से खेल रही योगी सरकार: दिनकर

वर्कर्स फ्रंट ने पत्र भेज निदेशक से सुरक्षा उपकरण देने की उठाई मांग
लखनऊ। कोविड-19 की ड्यूटी में बिना एन 95 मास्क, सैनिटाइजर और पीपीई किट के आंगनबाडिय़ों को लगाना उनके जीवन के साथ तो खिलवाड़ है ही साथ ही आंगनबाडिय़ों समाज के जिन अति संवेदनशील समूह गर्भवती, धात्री महिलाएं और 6 साल से कम उम्र के बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए काम करती हैं उन समूहों के जीवन के लिए भी बेहद खतरनाक है. इसलिए आंगनबाडिय़ों की कोविड-19 की ड्यूटी पर रोक लगानी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो उन्हें सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराकर ही कार्य में लगाना चाहिए यह मांग आज वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने निदेशक, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार को भेजे पत्र में उठाई. उन्होंने इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव समेत उच्चाधिकारियों को भी आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजी है. उन्होंने कहा योगी सरकार आंगनबाडिय़ों के साथ बंधुआ मजदूर जैसा बर्ताव कर रही है. बिना चिकित्सीय प्रशिक्षण प्राप्त की हुई आंगनबाडिय़ों को कोविड-19 जैसी विशेष संचारी रोग ड्यूटी में सरकार द्वारा लगा दिया गया है. उन्हें एन 95 मास्क, सैनिटाइजर और अन्य सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं. यह स्थिति तब है जब कोविड सामुदायिक स्तर पर पहुंच गया है और इस जैसे विशेष संचारी रोग के प्रभाव में आंगनबाड़ी आ रही हैं. वे बीमार पड़ रही हैं और मर रही हैं. सरकार उनके इलाज तक की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं साबित हो रही है. हालत इतनी बुरी है कि सरकार उन्हें मरने के बाद मुआवजा तक नहीं दे रही है. हाल ही में उन्नाव में आंगनबाड़ी कामिनी निगम की मौत इसका जीवंत उदाहरण है. उन्होंने पत्र में कहा है कि तमाम शासनादेशों और भारत सरकार की गाइडलाइन में यह कहा गया है कि आंगनबाडिय़ों को अति संवेदनशील समूह गर्भवती, धात्री महिलाएं व 6 साल से कम उम्र के बच्चों के पोषाहार वितरण में लगाया जाए. इस संबंध में माननीय मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय ने भी कोविड के दौरान मार्च माह में दिए अपने आदेश में आंगनबाडिय़ों के द्वारा पोषाहार वितरण पर जोर देने का निर्देश सभी राज्य सरकारों को दिया है. बावजूद इसके सरकार आंगनबाडिय़ों को सर्वेक्षण के कार्य में लगा रही है जो कि एक संकट को हल करने के चक्कर में कुपोषण जैसे संकट को और भी बढ़ा देगा. यही नहीं यदि एक आंगनबाड़ी संक्रमित हो गई तो वह अति संवेदनशील समूह के हर व्यक्ति को संक्रमित कर देगी. जिससे कोरोना महामारी से निपटने के सारे प्रयास ही व्यर्थ हो जायेंगे. वास्तव में सरकार द्वारा किया जा रहा यह कृत्य संविधान में दिए गए जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. इसलिए सरकार को इस तरह की अवैधानिक कार्रवाई पर रोक लगानी चाहिए।