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अस्पताल प्रशासन से दो घंटे की मीटिंग के बाद एम्स की नर्सों ने हड़ताल वापस लिया

नई दिल्ली :अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नर्सेज यूनियन ने अस्पताल प्रशासन के साथ लगभग दो घंटे की बैठक के बाद मंगलवार रात को अपनी हड़ताल को वापस लेने का फैसला किया है। यहां तक कि दिल्ली हाई कोर्ट ने भी मंगलवार को नर्सों के हड़ताल पर रोक लगा दी थी।

सोमवार को, एम्स की लगभग 5000 नर्सें छठे केंद्रीय वेतन आयोग के संबंध में अपनी लंबी लंबित मांगों को लेकर हड़ताल पर चली गईं थीं। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नर्से अपनी हड़ताल वापल ले ली हैं और अपने कर्तव्यों में शामिल हो गई

एक अधिकारी ने बताया कि अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें नर्स यूनियन को आश्वासन दिया गया कि स्थानीय मुद्दों का तुरंत समाधान निकाला जाएगा। जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुद्दे का भी जल्द से जल्द निपटारा किए जाने का आश्वासन मिला।

कोरोना महामारी के दौर में नर्सों के हड़ताल पर चले जाने से एम्स में मरीजों के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई थी। क्योंकि अस्पताल में मरीजों का देखभाल करने वाला कोई नहीं रहता था। ऐसे में नर्सों का हड़ताल पर चले जाने से सबसे ज्यादा दिक्कत वहां भर्ती मरीजों को हो रही थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के नर्स यूनियन को मामले में सुनवाई की अगली तारीख 18 जनवरी तक अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखने से रोक दिया था।जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने नर्स यूनियन को दिल्ली एम्स की तरफ से यह बताए जाने के बाद कि यूनियन की शिकायतों पर संबंधित अधिकारियों द्वारा विचार किया जा रहा है, हड़ताल खत्म करने का निर्देश दिया था।

बेंच ने एम्स प्रशासन द्वारा हड़ताल के खिलाफ नर्सेस यूनियन की ओर से दायर याचिका पर यूनियन से उनकी लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर भी जवाब मांगा है, जिसमें छठा केंद्रीय वेतन आयोग भी शामिल है। एम्स ने हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में कहा है कि यह हड़ताल अवैध है और औद्योगिक विवाद अधिनियम का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि नर्सों की हड़ताल ने एम्स के कर्मचारियों द्वारा ऐसी किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने से पहले अदालत द्वारा पारित एक आदेश का उल्लंघन किया।