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अफगानिस्तान को इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा

काबुल: अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा करने के बाद तालिबान ने रविवार देर रात सरकार बनाने की घोषणा कर दी है. इस ऐलान के बाद से ही दुनियाभर के देश अलर्ट हो गए हैं, और अफगान में फंसे अपने-अपने नागरिकों और राजदूतों को निकालने की प्लानिंग में जुट गए हैं.
ब्रिटेन की बात करें तो वहां सांसदों को गर्मी की छुट्टियों से वापस बुलाया जा रहा है ताकि अफगानिस्तान में खराब होती स्थिति पर संसद में चर्चा की जा सके. जानकारी के अनुसार, बुधवार को एक दिन के लिए संसद की बैठक होगी, जहां संकट पर सरकार की प्रतिक्रिया पर बहस होनी है. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को अपनी कैबिनेट की आपातकालीन समिति की बैठक बुलाई, क्योंकि तालिबान अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की तरफ बढ़ता जा रहा है.

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा के बाद नाटो के अन्य सहयोगियों की तरह ब्रिटेन ने भी अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया. अफगानिस्तान में ब्रिटेन के राजदूत लॉरी बेयरेस्टो को सोमवार की सुबह तक अफगानिस्तान से बाहर निकाल लिया जाएगा. हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस पर कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया है. लेकिन रक्षा मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था कि ब्रिटेन के शेष नागरिकों और ब्रिटिश बलों के साथ काम करने वाले अफगान नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए वहां 600 सैनिक भेजे जाएंगे.

अफगान नेताओं ने तालिबान से मुलाकात करने और सत्ता हस्तांतरण के प्रबंधन के लिए एक समन्वय परिषद का गठन किया है. पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि, ‘परिषद का नेतृत्व हाई काउन्सिल फॉर नेशनल रीकन्सीलिएशन के प्रमुख अब्दुल्ला, हिज्ब ए इस्लामी के प्रमुख गुलबुदीन हिकमतयार और वह खुद करेंगे.’ बयान में कहा गया कि यह निर्णय अराजकता को रोकने, लोगों की समस्याओं को कम करने तथा शांतिपूर्वक सत्ता हस्तांतरण के लिए लिया गया है.

काबुल के 11 जिलों पर अपना कब्जा करने के बाद तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट से सभी कमर्शियल उड़ानों पर रोक लगा दी है. वहीं एयरपोर्ट पर मौजूद लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए वहां से सेना के विमान उड़ान भर रहे हैं. एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने ये जानकारी दी है.