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अंबाला में 300 करोड़ में बन रहा शहीद स्मारक

अंबाला. हरियाणा के अंबाला में 1857 की क्रांति का शहीदी स्मारक बनाया जा रहा है. लगभग 300 करोड़ की लागत से बनने जा रहे शहीदी स्मारक के बनने के बाद अब तक किताबों में पढ़ाया जाने वाला इतिहास भी बदल जायेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां बन रहे पार्क निर्माण को लेकर इतिहासकारों का दावा है कि 1857 की क्रांति का बिगुल मेरठ से नहीं बल्कि अंबाला से बजा था. शहीदी स्मारक का निरीक्षण करने पहुंचे हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि यह शहीदी स्मारक क्रांति की लड़ाई के अनसंग वीरों की गाथा लोगों के सामने लेकर आएगा. पर्यटन के क्षेत्र में अंबाला को देश के मानचित्र पर नई पहचान दिलवाएगा.

1857 की क्रांति का आगाज मेरठ से हुआ था. अब तक स्कूली शिक्षा में यही पाठ पढ़ाया जाता है. लेकिन अब भविष्य में किताबों में पढ़ाये जाने वाले इतिहास के बदलाव की आवाज खुद ब खुद उठने लगेगी. यह बात हरियाणा के अंबाला में पहुंचे हरियाणा के मुख्य सचिव और इतिहासकार प्रो० पुष्पेश पंत ने कही. बता दें कि हरियाणा के अंबाला में अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाईवे के साथ लगभग 300 करोड़ की लागत से 1857 की क्रांति का शहीदी स्मारक बनाया जा रहा है. जिसका निरीक्षण करने हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज पहुंचे.

निरीक्षण के बाद मिडिया से रूबरू हुए गृह मंत्री अनिल विज ने बताया कि 1857 की क्रांति की शुरुआत मेरठ से लगभग 9 घंटे पहले अंबाला से हुई थी और इस बात के तथ्य भी सामने आये हैं. ऐसे में क्रांति के अनसंग वीरों की गाथा को प्रदर्शित करने के लिए अंबाला में यह शहीदी स्मारक बनाया जा रहा है, जो अंबाला को देश के मानचित्र पर नई पहचान दिलवाएगा. विज ने बताया कि यहां वीरों की गाथा फिल्म, ओपन एयर थियेटर और लाइट एन्ड साउंड शो के माध्यम से दिखाई जाएगी.

सूबे के गृह मंत्री अनिल विज पूर्व की सरकारों के राज में इस बात की पैरवी करते रहे हैं कि क्रांति की चिंगारी अंबाला से जली थी. ऐसे में अब इतिहासकार भी इस बता की गवाही दे रहे हैं कि मेरठ से पहले अंबाला से क्रांति का आगाज हुआ था. शहीदी स्मारक निरीक्षण के दौरान पहुंचे इतिहासकारों की मानें तो इस बात के कई तथ्य हैं जो प्रमाणित करते हैं कि क्रांति का आगाज अंबाला से हुआ था. वहीं, इतिहासकारों ने यह भी दावा किया कि अब तक स्कूलों में पढ़ाये जाने वाले इतिहास को बदलने की आवाज भी अब खुद उठने लगेगी, क्योंकि लोग यहां आकर असलियत के साक्षी बनेंगे. इतिहासकारों ने शहीदी स्मारक के निर्माण का श्रेय गृह मंत्री अनिल विज को दिया.