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धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू होने के बाद फिर खुलेगी अंतरधार्मिक विवादों की फाइल

उत्तराखंड:उत्तराखंड में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू होने के बाद से अब तक हुए सभी अंतरधार्मिक विवादों की फाइल फिर से खुलने जा रही है। ये सभी मामले युवतियों और किशोरियों के अपहरण से संबंधित हैं। देखा जाएगा कि इनमें कहीं धर्म परिवर्तन कराने की बात तो नहीं है। ऐसा हुआ तो धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होगी। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र जारी कर ऐसे मुकदमों और लिखित शिकायतों का ब्योरा मांगा है।

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प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम वर्ष 2018 में लागू हुआ था। इसके तहत यदि कोई किसी का धर्म परिवर्तन कराना चाहता है तो उसे एक माह पहले संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन करना होता है। इसके बाद जांच होती है और कोई विवाद न हुआ तो अनुमति दी जाती है।इस अधिनियम में जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर कम सजा का प्रावधान था। लेकिन, वर्ष 2022 में अधिनियम में संशोधन कर 50 हजार रुपये जुर्माना और 10 साल तक की सजा का प्रावधान कर दिया गया। ऐसे में अब जो मामले सामने आ रहे हैं उनमें संशोधित अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है।

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वहीं, अब उन मामलों की फाइल भी खोली जा रही है जिनमें दूसरे धर्म की लड़की के अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन इसकी जांच नहीं की गई कि इनमें धर्म परिवर्तन कराया गया या दबाव डाला गया। करा भी दिया गया तो अनुमति ली गई या नहीं। फाइल खुलने के बाद जांच होगी और फिर इनके खिलाफ संशोधित अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि नाबालिग के अपहरण के मुकदमे में आरोपी जेल चले जाते हैं। मगरए युवतियों के अपहरण में रजामंदी को आधार बनाकर शादियां तक हो जाती हैं। ऐसे में माना यह भी जा रहा है कि इसकी जद में कुछ शादियां भी आ सकती हैं।