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क्या बिद्या देवी भंडारी को फिर से नेपाल की राष्ट्रपति बना पाएंगे ओली ?

नए राष्ट्रपति का चुनाव फरवरी के मध्य में होने की संभावना है। यूएमएल के एक नेता ने अखबार काठमांडू पोस्ट से बातचीत में बताया- ‘अभी नए राष्ट्रपति के बारे में आपचारिक वार्ता नहीं हुई है। लेकिन पार्टी के अंदर कई नेता बिद्या देवी भंडारी को एक और कार्यकाल देने की वकालत कर रहे हैं।’… नेपाल के सत्ताधारी गठबंधन में सबसे बड़े दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के एक धड़े ने विद्या देवी भंडारी को एक और कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बनाने की मांग की है। भंडारी का कार्यकाल इस वर्ष मार्च में पूरा हो रहा है। खबरों के मुताबिक यूएमएल नेताओं की राय है कि पिछले कार्यकाल में भंडारी के ‘बेहतर’ रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें एक और कार्यकाल दिया जा सकता है।

नेपाल में 2015 में लागू हुए नए संविधान के मुताबिक को व्यक्ति पांच साल के दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति रह सकता है। पिछले महीने सात पार्टियों के नए गठबंधन ने नेपाल में सरकार बनाई, जिसका नेतृत्व कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) के नेता पुष्प कमल दहल कर रहे हैं। समझा जाता है कि गठबंधन के भीतर सहमति बनी है कि संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के स्पीकर के साथ-साथ राष्ट्रपति का पद भी पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी यूएमएल को मिलेगा।

नए राष्ट्रपति का चुनाव फरवरी के मध्य में होने की संभावना है। यूएमएल के एक नेता ने अखबार काठमांडू पोस्ट से बातचीत में बताया- ‘अभी नए राष्ट्रपति के बारे में आपचारिक वार्ता नहीं हुई है। लेकिन पार्टी के अंदर कई नेता विद्या देवी भंडारी को एक और कार्यकाल देने की वकालत कर रहे हैं।’ भंडारी अक्तूबर 2015 में राष्ट्रपति बनने के पहले यूएमएल की उपाध्यक्ष थीं। 2017 में आम चुनाव के बाद उन्हें फिर से इस पद के लिए निर्वाचित किया गया। तब 13 मार्च 2018 को उन्होंने दोबारा राष्ट्रपति पद की शपथ ली।

संविधान विशेषज्ञों के एक हिस्से का कहना है कि इस तरह भंडारी दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति रह चुकी हैं और अब उन्हें यह पद नहीं दिया जा सकता। जबकि यूएमएल के कुछ नेताओं की दलील है कि पहले कार्यकाल में वे पांच साल तक राष्ट्रपति नहीं रही थीं, इसलिए उनका दो कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है।

यूएमएल नेताओं का कहना है कि पहले कार्यकाल के समय चुनाव प्रक्रिया अलग थी। तब उनका निर्वाचन प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने किया था। उसके बाद वे दो साल राष्ट्रपति रहीं। फिर राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया बदल दी गई, जिसके तहत एक इलेक्ट्रॉल कॉलेज के जरिए निर्वाचन की प्रणाली व्यवहार में आई। इस तरह से 2018 में भंडारी का चुनाव हुआ। यूएमएल नेताओं का तर्क है कि दो कार्यकाल का नियम नई चुनाव प्रणाली लागू होने के बाद अस्तित्व में आया। इस प्रणाली के तहत भंडारी एक कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति रही हैं।

इलेक्ट्रॉल कॉलेज में संघीय संसद के दोनों सदनों के अलावा सभी सातों प्रांतीय असेंबलियों के सदस्य भी शामिल होते हैं। संविधान विशेषज्ञ विपिन आचार्य ने कहा है- ‘भंडारी को नया कार्यकाल देने के पक्ष में दो तर्क दिए जा रहे हैं, उन्हें तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। लेकिन व्यवहार में भंडारी दो बार राष्ट्रपति रह चुकी हैं। इसलिए उन्हें फिर से यह पद देना संवैधानिक भावना का उल्लंघन माना जाएगा।’  यूएमएल के उप महासचिव प्रदीप गयावली ने इस बात की पुष्टि की है कि पार्टी के अंदर भंडारी को फिर से राष्ट्रपति बनाने पर चर्चा हुई है। लेकिन उन्होंने कहा है कि ऐसा होने की संभावना कम है।