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कौन-सी टेक्नोलॉजी (useful,)आती है काम, बहुत कम लोगों को पता

रेलवे और एरोप्लेन : बस और कार से सफर करने वाले लोगों को रास्ते के बारे में पता होता है कि कौन-सा रोड कहां जा रहा है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि ट्रेन और हवाई जहाज के पायलट को कैसे पता चलता है कि उन्हें कैसे अपनी मंजिल तक पहुंचना है. आइये (useful,) आपको बताते हैं कि आखिर रेलवे और एरोप्लेन के पायलट को रास्ते का पता कैसे लगता है.

ट्रेन से सफर करते समय अक्सर आप देखते होंगे कि एक स्टेशन पर कई सारी पटरिया होती हैं. ऐसे में रेल का ड्राइवर कैसे तय करता है कि उसे किस पटरी पर जाना है.

जब कहीं पर एक से ज्यादा रेलवे ट्रैक होते हैं तो लोको पायलट को किस ओर जाना है, इसकी जानकारी होम सिग्नल से मिलती है. यह सिग्नल ही ट्रेन के ड्राइवर को बताता है कि उसे किस ट्रैक पर गाड़ी को लेकर जाना है.

वहीं, खुले आसमान में उड़ने वाले हवाई जहाज को किस दिशा या रास्ते के जरिए जाना है ताकि वह अपनी मंजिल तक पहुंच जाए. ये सवाल हर आदमी के मन में आता है.

बता दें कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल यानी ATC प्लेन के पायलट को निर्देश देता है कि किस दिशा में जाना है और कहां नहीं जाना है. जब भी पायलट किसी प्लेन को उड़ाता है तो उससे रेडियो और रडार के जरिए रूट के बारे में जानकारी दी जाती है.

हवाई जहाज के पायलट को निर्देश देने के लिए हॉरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर का उपयोग किया जाता है, इसे देखकर पायलट रूट सिलेक्ट करता है.