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बेटी बचाओ का कड़ुआ सच, उत्तराखंड में एक वर्ष में 26 प्रतिशत बढ़े महिला अपराध , महावीर गुसाईं प्रदेश सचिव शिव सेना।

शिवाकांत पाठक – ( उत्तराखंड ) – भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को प्राप्त अधिकारों में प्रमुख रुप से न्याय, शिक्षा, सुरक्षा , और स्वास्थ्य,, साथ ही अभिव्यक्ति की आजादी संविधान की धारा 19 ( A ) जिसमें कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार लिख कर, बोल कर भाषण द्वारा सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार है,,, लेकिन इस अधिकार पर दमन चक्र चला कर स्वतंत्रता का चीर हरण होने की भी घटनाएं आप के सामने आतीं होगी,, सच लिखने और बोलने वालों के साथ होने वाले अन्याय पर भी आप गौर करते होंगे,, इसी क्रम में आगे चर्चा करते हुए आपको बता दें कि,, भारतीय सनातन संस्कृति में तमाम ग्रंथो में वर्णित है कि,,

यश्य यश्य नारियश्य पूजयंते रमंते तत्र देवता,,

अर्थात जहां जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं,,, लेकिन जहां पर नारियों के साथ अत्याचार होते हों,, वहां कौन निवास करता होगा यह कहने की आवश्यकता नहीं है,,, आप सभी स्वयं बुद्धिमान हैं,,उत्तराखंड की बेटी अंकिता जिसे न्याय दिलाने हेतु आज भी उसके पिता प्रयासरत हैं,, क्या उसे न्याय मिला,,? नहीं ,,, इस मामले में सच लिखने वाले पत्रकार को जेल की सलाखों में जाना पड़ा,, और सभी उत्तराखंडी भीष्म पितामह की तरह मौन हैं आखिर क्यों,,,? यह सावल मैं नहीं पूछ रहा हूं वल्कि अंकिता की आत्मा आज चीख चीख कर न्याय मांग रही है,,z

तमाम सरकारी-गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी उत्तराखंड में महिला अपराध वर्ष दर वर्ष बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट तो यही बता रही है। इसके तहत वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपराध का ग्राफ वर्ष 2021 के मुकाबले 26 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया। एनसीआरबी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में महिला अपराध के 3431 मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2022 में यह संख्या बढ़कर 4337 पहुंच गई, यानी एक वर्ष में 906 मामलों की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले वर्ष 2020 में 2846 मामले सामने आए थे।