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जामा मस्जिद शेरकोट में क़ुरआन ए करीम मुकम्मल*

विचार सूचक 
शेरकोट,रमज़ान उल मुबारक की 29वीं शब के अंदर शेरकोट की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद में तरावीह में शहर क़ाज़ी व इमाम-खतीब जामा मस्जिद मुफ़्ती मुहम्मद ज़की एजाज़ ख़ान क़ासमी देवबंदी ने क़ुरआन शरीफ पूरा किया। शहर ईमाम साहब ने रमज़ान की पहली रात से क़ुरआन शुरू करके बीती रात मुकम्मल किया जबकि हाफिज़ मुहम्मदुल्ला ख़ान देवबंदी और क़ारी मुनीर अहमद शेरकोटी ने समाअत की। इस नूरानी मुबारक महफ़िल में हिंदुस्तान के मशहूर क़ारी जनाब अरशद अमीन साहब ने ख़ास तौर पर शिरकत की ।
ख़त्मे क़ुरआन के मौक़े पर शहर के कोने-कोने और दूर-दराज़ से आने वाले अक़ीकत मंदों से ख़िताब करते हुए शहर क़ाज़ी व इमाम जामा मस्जिद मुफ़्ती साहब ने फ़रमाया कि यह सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह का करम है जो आज ख़ुशियों भरा यह मौक़ा हमें नसीब हुआ। हम सब की ज़िम्मेदारी है कि रमज़ानुल मुबारक के इन आख़िरी दिनों में ग़नीमत जानें और बचे हुए लम्हों को इस तौर पर गुज़ारें कि अल्लाह हम सब से राज़ी हो जाए और हमारी इबादतों को क़बूल फ़रमा ले। आख़िर में शहर इमाम जनाब मुफ़्ती साहब ने नसीहत करते हुए कहा कि रमज़ान गुज़रने के बाद भी नेकियों का असर बाक़ी रहना चाहिए और ज़रूरतमंदों के काम आते रहना ज़रूरी है। इसी तरह उन्होंने गुनाहों से बचते रहने का भी आह्वान लिया, ख़ास तौर से ईद के दिन या उसके बाद नौजवान जो फिल्में देखने जाते हैं, उनको रुकने की हिदायत की और याद दिलाया कि हमारे फ़िलिस्तीनी भाई बहुत ज़्यादा दुख दर्द में हैं तो हमें कम से कम उनका ही ख़याल करके अपने आप को फ़ुज़ूल कामों से दूर रखना चाहिए । मुफ़्ती साहब ने मुनाजात और मुल्को मिल्लत व तमाम एहले इस्लाम के लिए दुआ कराकर मजलिस ख़त्म प्रोग्राम में मास्टर नजाकत हुसैन, विशाल एजेंट, शरीफ खान, अफसर खान, मोहम्मद गुफरान राजा, कारी शहजाद, सलीम अहमद सभासद,  पूर्व सभासद शब्बू, डॉ रिजवान, हाजी मतलब, मुशर्रफ अहमद, शरीफ खान उर्फ छोटा, मोहम्मद हाफिज भई  हाफिज भाई  हाफिज सदन ,  कासिम खान , बड़ी संख्या में लोग उपस्थित  थे|