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पीएम मोदी
PM meets Shri LK Advani Ji to greet him on his birthday, in New Delhi on November 08, 2022.

पीएम मोदी-राजनाथ सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी को दी जन्मदिन की बधाई, घर पहुंचकर जाना हालचाल

नई दिल्ली।  भाजपा के सीनियर नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी का आज जन्मदिन है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आडवाणी के आवास पर जाकर उन्हें जन्मदिन की बधाइयां दीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पूर्व डिप्टी पीएम आडवाणी की जन्मदिन की बधाई देने उनके आवास पहुंचे। सिंह ने ट्वीट करके खुद इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आदरणीय आडवाणीजी के आवास पर जाकर उन्हें जन्मदिवस की शुभकामनाएं दीं। मैं भगवान से उनके अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु की कामना करता हूं। राजनाथ सिंह ने ट्वीट करके कहा, श्रद्धेय लाल कृष्ण आडवाणी जी को उनके जन्मदिवस पर ढेरों शुभकामनाएं। उनकी गिनती भारतीय राजनीति की कद्दावर हस्तियों में होती है। देश, समाज और दल की विकास यात्रा में उनका अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु होने की कामना करता हूं।

अमित शाह ने ट्वीट करके आडवाणी को दी बधाई

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके सीनियर लीडर आडवाणी को बधाई दी। उन्होंने कहा, आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। आडवाणी जी ने अपने सतत परिश्रम से एक ओर देशभर में संगठन को मजबूत किया तो वहीं दूसरी ओर सरकार में रहते हुए देश के विकास में अमूल्य योगदान दिया। ईश्वर से उनके उत्तम स्वास्थ्य व सुदीर्घ जीवन की कामना करता हूं।

2014 में आडवाणी नहीं बन पाए पीएम चेहरा

अगर लालकृष्ण आडवाणी के राजनीतिक सफर की बात करें तो साल 2009 उनके लिए काफी अहम है। 2009 में आडवाणी का एनडीए का पीएम उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन वह चुनावी समर में कामयाब नहीं हो पाए थे। इसके बाद 2014 में उनके स्थान पर नरेंद्र मोदी को पीएम का चेहरा बनाने का फैसला हुआ था। इस तरह वह उपप्रधानमंत्री के पद पर तो रहे, लेकिन कभी पीएम नहीं बन सके।

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हालांकि, लालकृष्ण आडवाणी ने कभी खुलकर अपने पीएम न बन पाने के बारे में कोई बात नहीं कही। लेकिन इससे बड़ा एक मलाल उनकी जिंदगी में रहा है, जिसके बारे में 2017 में लालकृष्ण आडवाणी ने खुलकर अपनी बात रखी थी। लालकृष्ण आडवाणी का जन्म अविभाजित भारत में 1927 में सिंध के कराची में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। सिंध के पाकिस्तान में जाने का दर्द बयां करते हुए कहा कि भारत तब तक अधूरा है, जब तक सिंध इसमें शामिल नहीं होता है।

कम उम्र में ही आरएसएस में शामिल हुए आडवाणी

अविभाजित पाकिस्तान के कराची शहर में 1927 में जन्मे आडवाणी कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने जनसंघ के लिए काम किया, जहां उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमताओं के साथ अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की। वह 1980 में भाजपा के संस्थापक सदस्यों में रहे और कई दशकों तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पार्टी का मुख्य चेहरा बने रहे।

वाजपेयी सरकार में आडवाणी देश के गृह मंत्री रहे और बाद में उन्हें उपप्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। एक प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में भाजपा को स्थापित करने के लिए उन्होंने 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर रथ यात्रा की । इस घटना को राष्ट्रीय राजनीति में एक युगांतकारी मोड़ के रूप में देखा जाता है जिसके बाद से भाजपा लगातार मजबूत होती चली गई।