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मनु को विश्वास ही नहीं था कि वह फिर से किसी का चित्र खींच पाएगा!

कोच्चि:कोच्चि रेल दुर्घटना में दोनों हाथ गंवा चुके मनु को विश्वास ही नहीं था कि वह फिर से किसी का चित्र खींच पाएगा। लंबे समय तक कटे हुए हाथों के साथ जिंदगी बिताने के बाद कोच्चि स्थिति अमृता अस्पताल से मनु को एक नई रोशनी मिली। अमृता आयुर्विज्ञान संस्थान में सिर और गर्दन व प्लास्टिक और पुनर्निर्माण सर्जरी और ऑन्कोलॉजी-क्रानियोमैक्सिलोफेशियल सर्जरी के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सुब्रमण्यम अय्यर ने देश में पहली बार हाथों का प्रत्यारोपण करने का फैसला किया। रेल दुर्घटना में हाथ गंवाने वाले मनु का कहना है कि जब हाथ कट गए थे तब लगा था कि जिंदगी ही खत्म हो गई है। अमृता अस्पताल में हुए मुक्त हाथों के प्रत्यारोपण के करीब आठ माह बाद सामान्य रूप से काम कर रहा हूं। मुझे अब लगता ही नहीं कि मेरे हाथ कट गए मैं पहले जैसी सामान्य जिंदगी जी रहा हूं। हाथों के प्रत्यारोपण के लिए डॉक्टरों की 4 टीम एक साथ काम करती है। इनमें से 2 टीम मरीज के हाथ को अंग को स्वीकार करने के लिए तैयार करती हैं जबकि दूसरी दो टीम मृतक के हाथों को ट्रांसप्लांट के लिए तैयार करते हैं।