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(एक्यूआई)
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जाने एक्यूआई को लेकर क्‍या बोला मौसम विभाग?(एक्यूआई)

नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी में सरकार से सहायता प्राप्त सभी विद्यालय और निजी स्कूलों में 20 नवंबर से ‘ऑफलाइन’ कक्षाएं शुरू हो जाएंगी क्योंकि क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के प्रतिबंधों को हटा दिया गया है. एक आधिकारिक परिपत्र में शनिवार को यह जानकारी दी गई. शिक्षा निदेशालय के एक परिपत्र में कहा गया है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार होने और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा निकट भविष्य में दिल्ली में एक्यूआई  (एक्यूआई) के तेजी से खराब होने का कोई संकेत नहीं दिए जाने के मद्देनजर यह फैसला लिया गया.

परिपत्र के अनुसार, प्री-स्कूल से लेकर 12वीं कक्षा तक के सभी छात्रों की कक्षाएं 20 नवंबर से फिर से शुरू हो जाएंगी. दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में चार चरणों में प्रदूषण के नियंत्रण से जुड़े केंद्र के जीआरएपी वर्गीकरण में प्रथम चरण –खराब (एक्यूआई 201-300), द्वितीय चरण–बहुत खराब (एक्यूआई 301-400), तृतीय चरण–गंभीर (एक्यूआई 401-450) और चतुर्थ चरण–अत्यधिक गंभीर (450 से अधिक एक्यूआई) है.

AQI को देखते हुए 18 नवंबर तक अवकाश घोषित किया गया था
परिपत्र में कहा गया है कि अगले एक हफ्ते के लिए ‘आउटडोर’ (कक्षाओं से बाहर की) गतिविधियां और सुबह की प्रार्थना सभा स्थगित रहेंगी. इसमें कहा गया है, ‘‘यह 18 नवंबर 2023 को जारी आदेश के क्रम में है, जिसके तहत उस समय दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में होने के कारण 9 नवंबर 2023 से 18 नवंबर 2023 तक शीतकालीन अवकाश घोषित किया गया था.’’

दिल्‍ली में खराब हवा के कारण बच्‍चों की हेल्‍थ पर पड़ रहा बुरा असर
शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को कक्षाएं फिर से शुरू होने के बारे में बच्चों के अभिभावकों को सूचित करने को कहा है. दिल्ली में स्कूल बंद हैं और शहर में बढ़ते प्रदूषण एवं स्वास्थ्य चिंताओं के बीच आठ नवंबर को शीतकालीन अवकाश घोषित किया गया था.

पराली जलाने के कारण दिल्‍ली में जहरीली हुई हवा
दिल्ली के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने 18 नवंबर से 20 नवंबर तक वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ रहने का अनुमान लगाया है. भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के मुताबिक शुक्रवार को पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने का योगदान लगभग 3.45 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले दिन के 5.85 फीसदी से मामूली कमी है. इस सीजन में पराली जलाने का सबसे अधिक असर 3 नवंबर को 35.43 फीसदी दर्ज किया गया था. आईआईटी कानपुर के एक वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन ने शुक्रवार को वाहनों को पीएम 2.5 के स्तर में प्रमुख योगदानकर्ता बताया, जो 44 फीसदी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है