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(Investors)
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निवेशकों (Investors)ने पिछले 3 दिनों में लगभग 14 लाख करोड़ रुपये गंवाए

नई दिल्ली. इसी साल 1 दिसंबर को सेंसेक्स ने 63,583.07 पर पहुंचकर अपना नया ऑल टाइम हाई बनाया था. इसी दिन निफ्टी ने भी 18,887.60 पर अब तक का सबसे उच्चतम शिखर पा चुकी थी. दुनियाभर में मंदी की खबरों, और रूस-यूक्रेन युद्ध के गहराने जैसी चर्चाओं का भारतीय शेयर बाजार पर ज़रा भी असर नहीं दिख रहा था. लेकिन अगले 20-22 दिनों में हालात बदल गए. बाजार अपने हाई के ऊपर नहीं जा पाया और धराशायी होता गया.

अगर हम पिछले 3 सेशन्स की बात करें तो निवेशकों (Investors) ने 13.5 लाख करोड़ रुपये का झटका झेला है. इन तीन दिनों में सेंसेक्स 2,000 अंकों से अधिक गिर चुका है तो निफ्टी50 में 600 से ज्यादा अंकों की गिरावट आई है. आज, सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन, शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांक डेढ़ फीसदी से अधिक गिरकर कारोबार कर रहे हैं. ऐसे में निवेशक भयभीत हैं और बाजार लगातार गिरता जा रहा है. सभी सेक्टर लाल निशान में हैं.

केवल शुक्रवार को ही निवेशकों का नुकसान 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है. पिछले 7 कारोबारी सेशन्स में निवेशकों ने 16 लाख रुपये का नुकसान उठाया है. बीएसई का बाजार पूंजीकरण पिछले सत्र के 280.55 लाख करोड़ रुपये से घटकर 275.01 लाख करोड़ रुपये रह गया है.

कोरोना की डराने वाली तस्वीर
इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह कोविड-19 के नए वेरिएंट के चलते फैले भय को माना जा रहा है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन में रोजाना लगभर 1 लाख केस सामने आ रहे हैं और 5 हजार लोग प्रतिदिन मर रहे हैं. इसी तरह कुछ यूरोपियन देशों में भी कोरोना फिर से हावी होता दिख रहा है. कल, गुरुवार को, भारत में भी BF.7 का एक मामला सामने आया है.

निफ्टी के स्मॉल कैप, मेटल और पीएसयू बैंक्स के शेयरों में आज भारी बिकवाली देखने को मिली है. डर का मीटर इंडिया विक्स तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ रहा है. आज इसने एक बार फिर से 16 का स्तर छू लिया है और आज यह 5 फीसदी बढ़ा हुआ है.

2023 के लिए चल रही लड़ाई
दिसंबर में अब तक के प्रदर्शन को देखने के बाद, BNP Paribas के रिसर्च हेड संजीव होटा को लगता है कि यह 2023 में सकारात्मक और नकारात्मक के बीच एक करीबी लड़ाई होने जा रही है. उन्होंने कहा, ‘बढ़ती वैश्विक मैक्रो अनिश्चितताओं और कोविड के डर के फिर से उभरने के इस चरण में, 2023 में वैश्विक विकास मंदी की लगभग एक आम सहमति है. वैश्विक इक्विटी बाजारों पर कोविड की दहशत जारी रहेगी.’