अंतराष्ट्रीय

धरती की मदद से चांद पर बन रहा पानी(चांद पर )

नई दिल्ली. भारत के मून मिशन चंद्रयान-1 के रिमोट सेंसिंग डेटा का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया कि पृथ्वी से हाई-एनर्जी इलेक्ट्रॉन चंद्रमा पर पानी बना सकते हैं. इस अध्ययन के ये नतीजे नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित हुए. अमेरिका में हवाई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में मौजूद इलेक्ट्रॉन चंद्रमा की सतह पर मौसम की कई प्रक्रियाओं, जैसे- चट्टानों और खनिजों के टूटने या घुलने में योगदान दे रहे हैं. अध्ययन में बताया गया है कहा गया कि इन इलेक्ट्रॉनों ने चंद्रमा पर  (चांद पर ) पानी को तैयार करने में मदद की होगी. अब प्रोटॉन जैसे हाई एनर्जी कणों से बनी सोलर विंड चंद्रमा की सतह पर बमबारी करती है. माना जाता है कि यह चंद्रमा पर पानी बनने के प्राथमिक तरीकों में से एक है.

इस स्टडी में कहा गया है कि भले ही चंद्रमा पर तेजी से पानी के उत्पादन के प्रमुख स्रोत के रूप में सोलर विंड के महत्व की पुष्टि की गई है, मगर धरती के प्लाज्मा शीट के अब तक नहीं देखे गए गुण भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. साइंटिस्टों ने कहा कि चंद्रमा पर पानी के जमाव और वितरण को जानना इसके गठन और विकास को समझने और भविष्य में मानव खोजों के लिए जल संसाधन उपलब्ध कराने के लिए महत्वपूर्ण है. नई खोज चंद्रमा के स्थायी रूप से छाया में रहने वाले इलाकों में पहले खोजी गई पानी बर्फ की उत्पत्ति को समझाने में मदद कर सकती है.

14 साल पहले चांद पर पहुंचा था चंद्रयान-1, जिसने पहली बार बताया कि चंद्रमा पर पानी है

पहले भारतीय मून मिशन चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसे 2008 में लॉन्च किया गया था. साइंटिस्टों की टीम ने इसके डेटा से चंद्रमा के पृथ्वी के मैग्नेटोटेल से गुजरने पर सतह के मौसम में होने वाले बदलावों का विश्लेषण किया. मैग्नेटोटेल एक ऐसा इलाका है, जो चंद्रमा को सोलर हवा से लगभग पूरी तरह से बचाता है, लेकिन सूर्य के प्रकाश के फोटॉनों को नहीं रोकता है. चंद्रमा की यह सतह के पानी की निर्माण प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए एक प्राकृतिक प्रयोगशाला प्रदान करता है. इस महत्वपूर्ण रिसर्च के लिए उस रिमोट सेंसिंग डेटा की जांच की गई, जो 2008 और 2009 के बीच भारत के चंद्रयान 1 मिशन पर एक इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर, मून मिनरलॉजी मैपर उपकरण से जुटाए गए थे.

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