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जत्‍थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा- एक कदम पीछे हटें किसान व सरकार, इसी में पंजाब व देश की भलाई

अमृतसर, किसान आंदोलन को लेकर अमृतसर के श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने महत्वपूर्ण बयान दिया है। जत्‍थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि किसान मसले का हल जिद से नहीं, बल्कि आपसी बातचीत से ही हो सकता है। किसानों और सरकार दोनों को एक कदम पीछे हटना चाहिए। इसी में पंजाब और देश की भलाई है।

जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शुक्रवार काे अपने संदेश में कहा कि हमें यह समझना होगा कि अगर सरकार एक कदम पीछे हटती है, तो पंजाब के तमाम किसान नेताओं और आंदोलन कर रहे किसानों को भी इसके हल के लिए एक कदम पीछे हटना चाहिए। दोनों पक्षों के जिद छोड़ने में ही पंजाब और देश की भलाई है। इस मामलले में अब जिद छोड़नी चाहिए।
जत्‍थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि 26 जनवरी को लाल किले में जो कुछ हुआ वह पूरी तरह निंदनीय है। आंदोलन में अच्छी बातें भी होती हैं और बुरी घटनाएं भी। आंदोलन के दौरान अच्छी या बुरी घटना के लिए नेतृत्व ही पूरी तरह जिम्मेदार होता है। दोनों पक्षों को एक-दूसरे पर या किसी एक व्यक्ति विशेष पर आरोप लगाकर जिम्मेदार ठहराया जाना उचित नहीं है। इससे आंदोलन कमजोर ही हो रहा है।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि किसान संघर्ष को शांतिमय ढंग से चलाने की जिम्मेदारी किसान नेताओं की बनती है। इस आंदोलन का अब कोई हल निकलना चाहिए, ताकि दिल्ली बार्डर पर दो माह से बैठे किसान अपने परिवारों के पास घर लौट सकें।

वहीं, उन्होंने लाल किले पर खालसाई निशान वाला झंडा लगाए जाने पर कहा कि इसे खालिस्तान से जोड़ना ठीक नहीं है। खालसा निशान फहराना कोई अपराध नही है। दिल्ली में फतेह दिवस के दौरान भी दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से लाल किले की दीवारों पर खालसाई पोस्टर लगाए जाते हैं। गलवान घाटी में भी सिख रेजीमेंट ने तिरंगे के साथ खालसा झंडा लगाया था।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि 26 जनवरी की परेड के मौके पर भी श्री गुरु तेग बहादुर जी से संबंधित झांकी पर निशान साहिब लगाए गए। निशान साहिब एक धार्मिक व पवित्र निशान है। इसकी छत्रछाया में समाज की भलाई के काम होते हैं। कुछ शरारती तत्वों की वजह से कुछ निर्दोष लोगों को भी हिरासत में लिया गया है। इन पर कोई कानूनी कार्रवाई न हो इसके लिए किसान जत्थेबंदियों के नेताओं को आगे आना चाहिए।