तवांग (Tawang) में शी जिनपिंग का प्लान हुआ बेनकाब

तवांग: अरुणाचल प्रदेश के तवांग (Tawang) में चीनी सैनिकों ने 9 दिसंबर को घुसपैठ की कोशिश की, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया और फिर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों को भागना पड़ा. लेकिन, क्या आपको इस झड़प की इनसाइड स्टोरी पता है कि यह झड़प क्यों हुई. तो चलिए आपको हम इस झड़प की असली इनसाइड स्टोरी बताते हैं आखिर 9 दिसंबर यानी शुक्रवार को 17 हजार फीट की ऊंचाई पर जो कुछ भी हुआ, उसकी स्क्रिप्ट किसने और क्यों लिखी?
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं झड़प की सबसे बड़ी वजह
दरअसल, तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई इस झड़प की सबसे बड़ी वजह खुद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं, क्योंकि पिछले कुछ सालों में जब जब जिनपिंग की कुर्सी तक आंच पहुंची है या उनकी सत्ता डांवाडोल हुई है तो उन्होंने अपने पड़ोसियों के साथ संघर्ष बढ़ाकर घरेलू मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश की है.
जिनपिंग को चीन में झेलना पड़ रहा जबरदस्त विरोध
शी जिनपिंग तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने हैं, लेकिन जीरो कोविड पॉलिसी और खराब अर्थव्यवस्था की वजह से उन्हें अपने ही देश में जबरदस्त विरोध झेलना पड़ रहा है. थियेनमेन चौक की घटना के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब चीन के लोगों ने जीरो कोविड पॉलिसी के विरोध में सड़कों पर उतर गई. लोगों ने बेखौफ होकर जिनपिंग कुर्सी छोड़ो के नारे भी लगाए.
लॉकडाउन की वजह से चीन की जनता का हाल बेहाल
दरअसल लंबे-लंबे लॉकडाउन की वजह से चीन की जनता बेहाल है और लोगों के काम धंधे ठप हैं. न तो उनके पास रोजगार हैं और न ही बचत. जीरो कोविड पॉलिसी की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था भी डगमगा रही है और ऐपल जैसी बड़ी बड़ी कंपनियां तक चीन छोड़कर भारत का रुख कर रही हैं.
ध्यान भटकाने के लिए चीन पहले भी कर चुका है ऐसी हरकत
मई 2020 में भी जब पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही थी, चीन पर कोरोना फैलाने का आरोप लग रहा था,कोविड की उत्पत्ति की जांच के लिए वुहान में WHO की टीम भेजने की मांग की जा रही थी, उस वक्त भी चीन ने ध्यान भटकाने के लिए लद्दाख के गलवान में घुसपैठ की थी.
भारत और अमेरिका युद्धअभ्यास से बौखलाया चीन
इसके अलावा चीन पिछले महीने भारत और अमेरिका के बीच हुए युद्धअभ्यास से भी बौखलाया है. उत्तराखंड के औली में LAC से सिर्फ 100 किलोमीटर दूरी पर भारत और अमेरिका की सेनाओं ने 15 नवंबर से 2 दिसंबर तक सैन्य अभ्यास किया था, तब भी चीन ने इसका विरोध किया था और तवांग में हुई घुसपैठ को इससे जोड़ कर भी देखा जा रहा है.
भारत की बढ़ रही हैसियत भी चीन को नहीं आ रही रास
दुनिया भर में भारत की बढ़ रही हैसियत भी चीन को रास नहीं आ रही है. मौजूदा वक्त में रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान भारत की भूमिका की दुनियाभर में तारीफ हो रही है, भारत न सिर्फ रूस से कारोबार कर रहा है, बल्कि वो अमेरिका का भी उतना ही करीबी साझेदार है, जबकि दूसरी ओर चीन पर दूसरे देशों का भरोसा घट रहा है.
भारत की बढ़ते रसूख का ही प्रतीक है कि भारत इस वर्ष बेहद प्रतिष्ठित G20 जैसे सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. आज मंदी के संकेतों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है. मेड इन चाइना का जगह मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ रही है. आज दुनिया के कई देश और कंपनियां चीन की जगह भारत में निवेश करना चाहती हैं और ये भी चीन की बौखलाहट की बड़ी वजह है जो तवांग में हुई झड़प की शक्ल में सामने आई है. चीन भारत को आगे बढ़ने से रोकने के लिए इस तरह के विवादों में उलझाना चाहता है
इन तमाम पहलुओं के अलावा चीन के कुछ रणनीतिक मकसद भी थे, जैसे तवांग में अचानक घुसपैठ की कोशिश कर चीन जानना चाहता था कि भारतीय सेना किस तरह पलटवार करती है और उसकी तैयारी कितनी मजबूत है? लेकिन, बुरी तरह पिटने के बाद उसे भारतीय सेना की तैयारियों का अच्छी तरह अंदाजा हो गया होगा.