लखनऊ

नवजात मृत्युदर को एकल अंक तक लाने की दिशा में ‘संकल्प’ कार्यशाला, यूपी सरकार ने ICMR व NHM के साथ की महत्त्वपूर्ण पहल  

लखनऊ -: लखनऊ में नवजात शिशुओं की रोकी जा सकने वाली मौतों को कम करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और देश की प्रमुख शोध संस्थाओं के सहयोग से 22 अप्रैल को ‘संकल्प’ नामक राज्य स्तरीय को-डिज़ाइन कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला प्रदेश में नवजात मृत्युदर (एनएमआर) को एकल अंक तक लाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास के रूप में सामने आई है।कार्यशाला में नीति आयोग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, आईसीएमआर, एनएचएम, यूनीसेफ, जिला और ब्लॉक स्तर की स्वास्थ्य टीमें, शोधकर्ता, स्वास्थ्यकर्मी और सामुदायिक कार्यकर्ता शामिल हुए।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल ने भारत की अब तक की प्रगति की सराहना करते हुए नवजात सुरक्षा के लिए परिवर्तनकारी कदमों की आश्यकवता पर बल दिया। वं स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. राजीव बहल ने ‘संकल्प’ की दिशा और मिशन को स्पष्ट करते हुए क भारत को उन्होंने कहा कि राज्यों को नवाचार और समन्वित प्रयासों से स्वास्थ्य सुधारों को गति देनी चाहिए।आईसीएमआर के महानिदेशक एविकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में नवजात मृत्युदर को पांच प्रति हजार जीवित जन्म तक लाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बहा कि ताया कि इसके लिए समन्वित, प्रमाण आधारित और स्थानीय समाधान अपनाने की ज़रूरत है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने कहा कि प्रदेश सरकार नवजात मृत्यु दर को कम करने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान केवल समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण से संभव है और शून्य नवजात मृत्यु दर का लक्ष्य भी रखा जाना चाहिए।

कार्यशाला में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की बाल स्वास्थ्य उपायुक्त डॉ. शोभना गुप्ता और उत्तर प्रदेश सरकार की महानिदेशक, परिवार कल्याण डॉ. सुषमा सिंह ने भी अपने विचार रखे। शुभारंभ के उपरांत जनपदीय स्वास्थ्य टीमों ने अपने-अपने क्षेत्रों में किए जा रहे नवाचारों और बेहतरी के प्रयासों को साझा किया।बाल स्वास्थ्य के महाप्रबंधक द्वारा यह जानकारी दी गई कि कार्यशाला के अंतर्गत छह अलग-अलग विषयों पर केंद्रित समूहों में स्थानीय चुनौतियों और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए रणनीतियाँ तैयार की गईं हैं।

इन रणनीतियों में उच्च जोखिम गर्भावस्था की देखभाल, प्रीटर्म नवजातों की संस्थागत देखभाल, प्रसव के दौरान औषधियों के अनावश्यक उपयोग पर रोक, उचित रेफरल प्रणाली और जन्म उपरांत सेवाओं की उपलब्धता जैसे बिंदुओं को सम्मिलित किया गया है। इन सभी नवाचारों को पायलट चरण में क्रियान्वित कर उनके प्रभावों का मूल्यांकन किया जाएगा।यह कार्यशाला प्रदेश में नवजात सुरक्षा को लेकर एक सामूहिक सोच और रणनीतिक सहयोग का प्रतीक बनी। ‘संकल्प’ पहल को नवजात जीवन रक्षा की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार की एक दूरदर्शी और सशक्त पहल माना जा रहा है।

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